गजरत - बरसत | GARJAT BARSAT
श्रेणी : बाल पुस्तकें / Children
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
3 MB
कुल पष्ठ :
181
श्रेणी :
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लेखकों के बारे में अधिक जानकारी :
असग़र वजाहत - Asagar Wajahat
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पुस्तक समूह - Pustak Samuh
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)80/17/2016
उठती है, जब भूख लगती है।
मैं कुछ चिंता करने लगा।
तुम्हें देख के डर न जाएगी , वह हंसी।
सुसराल में तुम्हारा झगड़ा है , मैंने सुना था कि ससुराल वाले उससे खुश नहीं हैं।
झगड़ा कुछ नहीं है. . .एक दीया से पूरे घर मैं उजाला कैसे
हो सकता है , वह बोली।
क्या मतलब?
हमारा छोटा देवर हम को चाहत रहे. . . हम कहा चलो ठीक है. . .छोटे भाई हो हमरे आदमी के . . .छोटे को देखा-
देखी जेठ जी भी ललचा गये. . . समझे बहती गंगा जी है. . -. हम मना कर दिया . . .घर का पूरा कामकाज जेठजी
करते हैं. . खेती बाड़ी. . .
जेठ की शादी नहीं हुई है?
उनकी औरत कौनों के साथ भाग गयी।
तो जेठ जी तुम्हारे साथ. . .
हां, पर हमका अच्छे नहीं लगते।
क्यों?
वह कुछ नहीं बोलती।
चिन्हारी देवर, वह मेरा हाथ पकड़कर बोली। मैं चुप रहा।
चिन्हारी नहीं जानते।
जानते हैं मतलब पहचान. . .
मान लेव रात हो. . .हमारे पास आओ. . .तो चिन्हारी देखके समझे न कि तुम हो?
आहो, ये बात है ख़ासी भोली-भाली ख्वाहिश है। मासूम इच्छा। पता नहीं कितने समय से यहां प्रेमियों में इसका
रिवाज होगा।
पहले अपने चिन्हारी दोर, मैं बोला।
खोज लेव , वह आहिस्ता से बोली और उठकर दीया बुझा दिया।
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