ह्रदय रोग से मुक्ति | HRIDAY ROG SE MUKTI

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डॉ० अभय बंग - DR. ABHAY BANG

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पुस्तक समूह - Pustak Samuh

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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किन्तु सीने में कहीं भी दर्द नहीं हुआ था। इस दर्द के कारण कई बार ईसीजी किए, किन्तु वे नार्मल ही थे। फिर भी यह दर्द मुझे शंकास्पद लगता था, इसलिए मेरे एक कार्डियोलॉजिस्ट मित्र ने दो बार ट्रेडमिल टेस्ट किया। ट्रेडमिल टेस्ट यानी एक यंत्र पर तेज चलाकर, चलते हुए ईसीजी किया जाता है। परिश्रम के दौरान हृदय को रक्त सप्लाई की आवश्यकता बढ़ जाती है; परन्तु सप्लाई अगर जरूरत से कम होती हो तो वह ट्रेडमिल टेस्ट में दिखाई देता है। मेरा ट्रेडमिल टेस्ट दोनों बार नार्मल था। अतः मेरे सीने में दर्द एंजाइना का नहीं, एसिडिटी से हुआ होगा, यही माना गया। रोग निदान में यह गलती हमने न की होती तो सालभर पहले ही मेरे रोग का निदान हो गया होता। .... फिर मुझे याद आया कि साल-भर पहले मेरे रक्त में कोलेस्ट्रॉल का परिमाण 244 मिलीग्राम आया था। चिकित्साजगत में 150 से 240 मिलीग्राम कोलेस्ट्रॉल सामान्य माना जाता था। कोलेस्ट्रॉल में भिन्‍न-भिन्‍न घटक होते हैं। . उनमें से खतरनाक घटक है एलडीएल कोलेस्ट्रॉल | दूसरा घटक हृदय का रक्षक है, उसे एचडीएल कोलेस्ट्रॉल कहते हैं। मेरा एलडीएल कोलेस्ट्रॉल बढ़ा हुआ व एचडीएल कोलेस्ट्रॉल कम था। अर्थात मामला दोनों तरह से गड़बड़ था। किन्तु तब भी मैंने उसे बहुत गम्भीरता से नहीं लिया था। 240 मिलीग्राम . कोलेस्ट्रॉल नॉर्मल की ऊपरी सीमा है, मेरा 244 था, अतः बहुत चिन्ता करने का कोई कारण न था। हाँ, तब से मलाई खाना मैंने कम कर दिया-इतना ही बदलाव किया। मैंने तभी अधिक ध्यान दिया होता तो शायद यह स्थिति न आती । मेरा मन आज भी पश्चात्ताप करता है। इससे भी पहले, दो वर्ष पूर्व, मुझे डाइबिटीज अर्थात मधुमेह होने का पता . चला था। तब भी बड़ा सदमां लगा था। मुझे मधुमेह है, यह बात स्वीकार करने में मुझे काफी दिन लगे थे। मधुमेह की बीमारी में शरीर में केवल शर्करा ही नहीं बढ़ती, बल्कि शरीर के अन्दर की अनेक रक्तनलिकाएँ बन्द होने लगती हैं। किन्तु मधुमेह की दवाई मैंने तुरन्त प्रारम्भ कर दी थी और मेरी शर्करा नियंत्रण में थी। परन्तु उसके साथ ही हृदयरोग न होने के लिए आवश्यक अन्य सावधानियाँ बरती होतीं तो? लेकिन उस समय मैं शराबमुक्ति आन्दोलन में आकंठ डूबा हुआ था। काम और अधिक काम, समाज-सुधार इत्यादि का पागलों की तरह पीछा कर रहा था। रोज रोगियों को देखता था, उन्हें स्वास्थ्य 26 / हृदयरोय से मुक्ति _ के नियम बताता था, लागू करवाता था। स्वयं के लिए उसकी आवश्यकता कभी महसूस ही नहीं हुई। और उससे भी पहले, पाँच साल पहले की बात याद आई। 1990 में . अध्ययन के लिए मैं तीन महीने अमेरिका में रहा था। लौटते समय साथ में पुस्तकों और कागजों की खूब बड़ी-बड़ी पेटियाँ थीं। न्यूयॉर्क हवाई अड्डे पर आया। मुम्बई जाने वाला हवाई जहाज मेरी राह देख रहा था। विदेशों में कुली नहीं होते, अतः वह सारा सामान एक हाथगाड़ी पर रखकर स्वयं ही ढकेलकर ले जा रहा था। एक जगह चढ़ाई आने पर भरपूर जोर लगाना पड़ा और उस समय अचानक सीने में दर्द होने लगा। किसी तरह उस बोझ को पार ले गया। थोड़ी देर में सीने का दर्द कम हुआ। जीवन में पहली बार ही... ऐसा दर्द हुआ था। मैं कुछ चिन्तित हुआ। सीने में दर्द क्यों हआ होगा? निश्चय ही हृदयरोग का नहीं होगा। उनतालीस की उम्र में थोड़े ही मुझे यह बीमारी हो सकती है?” इसके अलावा एक मुसीबत और थी। मेरी अमेरिका : में मेडिकल इंश्योरेंस की अवधि एक दिन पहले ही समाप्त हुई थी। सीने में दर्द की शिकायत के लिए चिकित्सकीय सहायता माँगता तो मुझे फौरन अस्पताल में भर्ती कर दिया जाता। अमेरिका में चिकित्सा इतनी भयंकर . महँगी है कि मेरी सात पीढ़ियों का दिवाला निकल गया होता। बहुत कठिन निर्णय लेना था। मेरा हवाई जहाज खड़ा था। मैं उसमें चढ़ गया। निर्विध्न भारत पहुँच भी गया। कुछ दिनों के बाद मैंने अपने कार्डियोलॉजिस्ट मित्र से इस घंटना का उल्लेख किया। उसने तुरन्त मेरा ट्रेडमिल टेस्ट किया। पसीने-पसीने होने तक मुझे चलवाया, किन्तु टेस्ट नॉर्मल निकला। अतः सीने के इस दर्द को अनदेखा कर दिया गया। अब जब पीछे मुड़कर देख रहा था तो स्पष्ट हो रहा था कि वह खतरे की पहली घंटी थी। “उस समय यदि इसके निदान में गफलत न करता और उपाय शुरू कर देता तो आज की स्थिति नहीं आती। मुझसे बड़ी भूल हुई थी! और आज से दस वर्ष पूर्व, उम्र के 34-95वें वर्ष में ऐसे लगने लगा कि शरीर की शक्ति थोड़ी कम हो रही है, शरीर ढीला पड़ रहा है। उस समय मैं और रानी अमेरिका से उच्च शिक्षा लेकर लौटे ही थे और गढ़चिरौली में आदिवासियों के बीच काम शुरू करने की तैयारी में जुटे थे। ऐसा लगा कि हृदयरोग से मुक्ति / 29




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