जश्ने-तालीम | JASHNE TALEEM

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सुशील - Sushil

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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द्वितीय प्रारूप मपहा॥ असम अधापा पाप अयथा। 8 88 8 8. के आम आओ प्रकधक अदा आकह1 कराड अपधड सफाया अशलए अमाक कलम सा जब 1972 में हो.वि.शि का. शुरू हुआ था तो वह भी निर्धारित पाठ्यक्रम या विषयवस्तु को लेकर शुरू नहीं हुआ था। शुरुआत उपरोक्त अत्यंत सीमित अकादमिक संसाधनों के साथ और विज्ञान शिक्षा के उद्देश्यों व प्रक्रिया की एक मोटी-मोटी समझ के साथ हुई थी । 1972 से 1975 का दौर 1972 से 1975 के बीच काफी फासला त्तय किया गया। जैसे दून स्कूल से निकलकर नगर निगम के स्कूलों में पहुंचना एक महत्वपूर्ण कदम था, उसी प्रकार से नगर निगम स्कूलों से आगे बढ़कर होशंगाबाद के ग्रामीण स्कूलों में कदम रखना तो एक छलांग थी। इस छलांग के कई आयाम हैं। वैसे इस कार्यक्रम की पहली पाठ्य पुस्तक (जिसे शायद कार्य पुस्तक कहना ज़्यादा उपयुक्त होगा) - बाल वैज्ञानिक - का प्रकाशन अक्टूबर 1972 में हुआ था। बाल वैज्ञानिक से आशय था कि कक्षा में बच्चे वैज्ञानिक के रूप में काम करते हुए सीखें | इस पहली बाल वैज्ञानिक का कवर लाल रंग का था और इसे प्यार से लाल वैज्ञानिक कहा करते थे । पहला शिक्षक प्रशिक्षण शिविर इस पुस्तक के प्रकाशन से पहले फ्रेंड्स रूरल सेंटर, रसूलिया में मई 1972 में आयोजित किया गया था। यहीं से होशंगाबाद विज्ञान शिक्षण कार्यक्रम में पाठ्यक्रम निर्माण और पाठ्य पुस्तक निर्माण की यात्रा शुरु होती है। बम्बई से होशंगाबाद आने के बाद कई न॒ए आयाम जुड़ते गए। ये सारे आयाम किसी सोची-समझी रणनीति या नीछि * ' वक्तव्य के तहत नहीं जुड़े थे। जैसे-जैसे काम आगे बढ़ा, स्कूलों में सामग्री का उपयोग हुआ, नए-नए स्रोत व्यक्ति जुड़े, शिक्षक प्रशिक्षण हुए, वैसे- वैसे पाठ्यक्रम के सिद्धांत उभरते गए | क्‍ आगे बढ़ने से पहले एक और बात का ज़िक्र करना ज़रूरी है क्‍योंकि वैसे तो यह अनुषांगिक है मगर इसका गहरा असर हो वि शि.का. की प्रक्रियाओं पर पड़ा है| फ्रेंड्स रूरल सेंटर और किशोर भारती, दोनों ही बहुआयामी संस्थाएं थीं। सबसे पहली बात तो यह गौर करने की है कि दोनों ही संस्थाएं ग्रामीण परिवेश में स्थित थीं। फ्रेंड्स रूरल सेंटर होशंगाबाद ज़िला मुख्यालय के नज़दीक के गांव रसूलिया में और किशोर भारती होशंगाबाद ज़िले के पूर्वी छोर पर बनखेड़ी विकास खंड के पलिया पिपरिया गांव में | फ्रेंड्स रूरल सेंटर या मित्र मंडल केंद्र एक क्वेकर संस्था थी जिसकी स्थापना उन्नीसवीं सदी के अंत में अकाल राहत के उद्देश्य से की गई थी। उस समय (1971 में) विख्यात गांधीवादी शिक्षाविद मार्जरी साइक्स रसूलिया का मार्गदर्शन कर रही थीं। उनका मत था कि शिक्षा के क्षेत्र में सेंटर ऐसा काम करे . जो दिशा परिवर्तन का हो और मुख्यधारा को बदलने वाला हो | इसमें निहित था कि एक टापू नहीं बनाना है। स्पष्ट है कि बंबई नगर निगम का काम इन दोनों शर्तों को पूरी करता था। दूसरी ओर किशोर भारती की स्थापना यह समंझने के उद्देश्य से की गई थी कि गांव में जो बच्चे गरीबी के कारण स्कूल नहीं जा पाते हैं, उनके लिए किस ढंग की शिक्षा हो और किस तरीके से दी जाए ताकि ये बच्चे बेरोज़गारी व ग्रामीण शोषण की समस्या से जूझ पाएं | इसकी प्रेरणा एक तरह से गांधीजी की नई तालीम से मिली थी । , ः सेंटर व किशोर भारती दोनों में ही ग्रामीण समाज को लेकर, विकास को लेकर, विकास में शिक्षा की भूमिका को लेकर निश्चित विचार थे। दोनों के काम में खेती-बाड़ी , पशुपालन, स्वास्थ्य वगैरह शामिल थे | इसके चलते हो वि.शि का. पाठ्यक्रम में एक ग्रामीण रुझान नज़र आता है| इसके अलावा विज्ञान शिक्षण को पर्यावरण, खासकर ग्रामीण पर्यावरण पर आधारित करना भी इन दो संस्थाओं की विशेष परिस्थिति का परिणाम कहा जा सकता है| दोनों संस्थाओं के सामाजिक सरोकारों का असर तैयार की गई सामग्री तथा कार्यक्रम के विभिन्न पहलुओं में दिखाई पड़ता है | 15 द्वितीय प्रारूप मई 07




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