सूरज क्यों निकलता है | Sooraj Kyon Nikalta Hai
श्रेणी : बाल पुस्तकें / Children
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
1 MB
कुल पष्ठ :
3
श्रेणी :
यदि इस पुस्तक की जानकारी में कोई त्रुटि है या फिर आपको इस पुस्तक से सम्बंधित कोई भी सुझाव अथवा शिकायत है तो उसे यहाँ दर्ज कर सकते हैं
लेखकों के बारे में अधिक जानकारी :
पुस्तक समूह - Pustak Samuh
No Information available about पुस्तक समूह - Pustak Samuh
सुधा ओम ढींगरा - Sudha Om Dhingra
No Information available about सुधा ओम ढींगरा - Sudha Om Dhingra
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)हैं। अंततः सिन््जोरिटी गाडंस उन्हें क्लब ते
बालछ निम्न कर एक कोने में छोड़ देता है।
शत्बीतते के बाद और सुबह होने पर
जब छरज की रोशनी उन पर पड़ती है तो
जलता कर कहते हैं-.सूरज क्यों निकलता है'
ब्यॉकि वे गहरी तन्द्रा में थे । बाद में क्लब के
सफाई कर्मचारी उन्हें वहां से भगा देते हैं।
यह कहानी किंचित लंबी है लेकिन
उबाऊ नहीं | कहानी की पठनीयता आरंभ से
लेकर अंत तक बनी रहती है। यह सुधा ओम
ढींगगा की एक वयस्क कहानी है जिसमें
यथार्थ की अनेक परतें हैं। ऊपर से देखने पर
यह कहानी किसी पाठक को सामान्य लग
सकती है लेकिन इस कहानी की रचना प्रक्रिया
बहुत जटिल है क्योंकि अमेरिका जैसे सम्पन्न
आधुनिक तथाकथित सभ्य राष्ट्र के वर्तमान
यथार्थ का घिनौना चेहरा है। यह अकारण नहीं
है कि यह कहानी हमारी स्मृतियों में देर तक
टिकती है क्योंकि इसमें कहीं कोई वाग्जाल
नहीं है। पूरी कहानी शुरू से आखिर तक
संवाद में और विवरण में विश्वसनीयता लिए
हुए हैं। पीटर और जेम्स दोनों के अपने-अपने
तर्क हैं। वे अमेरिका की मंदी को इसलिए
कोसते हैं कि उन्हें भीख में पर्याप्त डालर नहीं
मिलते | और तो और काम न करने का उनका
तक देखिए-.-“हमें दूसरे लोगों की तरह दो
वक्त- के भोजन के लिए काम कर-करके
मरना-खपना नहीं है। वह तो हमें बिना काम
किए ही मिल जाता है।”
यह कहानी मुझे सचमुच अच्छी लगी है
'खासकर इसलिए कि इसे एक प्रवासी लेखिका
ने लिखा है और हमें एक बिल्कुल नए यथार्थ
से परिचित कराया है।
मनी नीली न ७ आय जा ७७ अब
बी-19/एफ, दिल्ली पुलिस अपार्टमेंट्स, मयूर विहार,
फेज-1, दिल्ली-110091, मो. 9891349058
किक मठ 3 अतीक |
हिंदीसमयडॉटकॉम : हिंदी का सबसे बड़ा ऑनलाइन पुस्तकालय
जलका गयी अंत्तरराष्ट्रीय हिंदी विश्वविद्यालय से एक अपेक्षा यह की जाती है कि वह
हिल को अंतराराष्ट्रीय भाषा बनने के लिए आवश्यक उपकरण उपलब्ध कराए। यह तभी
संभव हो सकता है, जब हिंदी न सिर्फ गंभीर विमर्श का माध्यम बने, बल्कि हिंदी में
लिखा गया महत्त्वपूर्ण साहित्य देश-विदेश के विशाल पाठक समुदाय तक पहुंचे।
विश्वविद्यालय द्वारा संचालित हिंदीसमयडॉटकॉम इसी दिशा में एक महत्त्वाकांक्षी प्रयास
है। हिंदीसमयडॉटकॉम का उद्देश्य यह है कि हिंदी में जो कुछ महत्त्वपूर्ण लिखा गया
है, उसे हिंदीसमयडॉटकॉम के जरिए दुनियाभर में फैले साहित्य प्रेमियों को उपलब्ध
कराया जाए।
यद्यपि इंटरनेट पर अनेक ऐसे वेबसाइट हैं, जहां हिंदी में प्रकाशित कुछ कृतियाँ और
रचनाएं उपलब्ध हैं, पर कोई ऐसी वेबसाइट नहीं है, जो संपूर्ण हिंदी साहित्य को नेट
पर लाने के लिए प्रतिबद्ध हो। इस दृष्टि से हिंदीसमयडॉटकॉम एक अनोखी परियोजना
है। इस वेबसाइंट ने अल्प समय में ही अच्छी-खासी लोकप्रियता अर्जित कर ली है। अभी
तक लगभग साढ़े चार लाख पाठक हमारी वेबसाइट पर आ चुके हैं। करीब दो हजार
पाठक रोज हिंदीसमयडॉटकॉम का पन्ना खोलते हैं। इनमें संयुक्त राज्य अमेरिका, जर्मनी,
नार्वे, डेनमार्क, पाकिस्तान, कतर, सऊदी अरब, संयुक्त अरब अमीरात, कनाडा, ऑस्ट्रेलिया,
ईरान, पुर्तगाल, स्पेन आदि देशों के पाठक होते हैं। अक्सर हमें इच्छुक पाठकों की मेल
मिलती है कि अमुक-अमुक पुस्तक को हिंदीसमयडॉटकॉम पर उपलब्ध कराने की कृपा
करें।
हिंदीसमयडॉटकॉम पर इस समय एक लाख से ज्यादा पृष्ठों पर हिंदी की बहुत-सी
मूल्यवान रचनाएं संजोई जा चुकी हैं तथा रोज कुछ नया जोड़ा जाता है। पहले चरण
में हम कॉपीराइट-मुक्त कृतियों को हिंदीसमयडॉटकॉम पर दे रहे हैं, यद्यपि इसके साथ
ही महत्त्वपूर्ण समकालीन साहित्य को भी प्रकाशित किया जाता है। यह सारा साहित्य
बिना किसी शुल्क के न केवल इंटरनेट पर पढ़ा जा सकता है, बल्कि डाउनलोड भी किया
जा सकता है।
हिंदीसमयडॉटकॉम पर उपलब्ध सामग्री को चौदह मुख्य खंडों में बांटा गया है---उपन्यास,
कहानी, कविता, नाटक, आलोचना, भक्ति काल का साहित्य, विभाजन की कहानियां,
लेखकों के समग्र और संचयन, ई-पुस्तकें, अनुवाद तथा विविध, जिसमें वैचारिक निबंध,
संस्मरण, व्यंग्य, यात्रा वृतांत आदि शामिल हैं। एक प्रमुख खंड “हिंदुस्तानी की परंपरा'
का है, जिसमें उन कृतियों तथा रचनाओं को शामिल किया गया है, जो हिंदी-उर्दू की
साझा परंपरा का जीवंत दस्तावेज हैं। एक खंड अभिलेखागार का भी है, जिसमें हिंदी के
रचनाकारों की तस्वीरों, उनकी हस्तलिपि में लिखित रचनाओं, ऑडियो, वीडियो, पत्रों
आदि का संकलन है। लेखक दीर्घा में हिंदी के सभी समकालीन रचनाकारों का संक्षिप्त
परिचय, फोटोग्राफ, पता, फोन नंबर आदि उपलब्ध कराने का प्रयास जारी है।
जाहिर है, हिंदीसमयडॉटकॉम को निरंतर समृद्ध करते चलना एक बड़ा काम है। इसमें
हिंदी के सभी लेखकों, संपादकों तथा हिंदी प्रेमियों का सहयोग अपेक्षित है। इन सभी
से अनुरोध है कि अपने सुझाव, उनके पास उपलब्ध रचनाएं तथा सूचनाएं आदि भेजकर
हिंदीसमयडॉटकॉम को उपकृत करें। हिंदीसमयडॉटकॉम के संपादक मंडल से संपर्क करने
के लिए 07152280912 पर फोन करें या ९तां।एफरं0रतं5व13ए७977%ां। . ०071 पर
मेल करें।
राजकिशोर
53, इंडियन एक्सप्रेस अपार्टमेंट्स, मयूर कुंज, दिल्ली-110096
फोन : 09650101266
छ+#-बर। सार्च-अप्रैल, 2013. / 62
User Reviews
No Reviews | Add Yours...