बन्दर बांट | BANDAR BANT
श्रेणी : बाल पुस्तकें / Children
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
3 MB
कुल पष्ठ :
17
श्रेणी :
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हरिवंश राय बच्चन - Harivansh Rai Bachchan
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)तोड़-तोड़कर तुम्हें बराबर
दे दी जाए।
मेरे पास धरम-काँटा है।
(बन्दर मेज के नीचे से तराज़ू निकालकर लाता
है । गेटी को दो हिस्सों में तोड़कर दोनों पलड़ों
पर रखता है और तराज़ू उठाता है। एक पल्रड़ा
नीचे रहता है; दूसरा ऊपर)
बन्दर : यह टुकड़ा कुछ भारी निकला।
इसमें से थोड़ा खा करके हल्का कर दूँ। (खाता
है)
(फिर तराज़ू उठाता है। अब पहला पलड़ा ऊपर
हु ४ है
की रा,
सफेद बिल्ली : श्रीमन पहले मैंने ही रोटी देखी थी,
बन्दर : कक कल हे मेरा बनता है। हो जाता है, दूसरा नीचे)
काली बिल्ली : श्रीमन पहले में १ अप तुमको क्या कहना है? बन्दर : अब यह टुकड़ा भारी निकला।
इससे रोटी पर जम ० शक ह अब इसको थोड़ा खा करके हल्का कर दूँ।
बन्दर : (सफ़ेद बिल्ली से) > बनता। (फिर तराजू उठाता है। अब पहला पलड़ा नीचे
अजब तो जो वी हो जाता है; दूसरा ऊपर
आओ वर हो स। कर * डे भी कितने खोटे है...
' 2182 छे/ एक टॉग से झपटी थी या एक दूसरे को छोटा दिखलाने में ही
काली बिल्ली : दो - लगे हुए हैं।
कब सा 8 हे, दोनों थॉंगों से। मुँह थक गया बराबर करते। के
दोनों बिल्लियाँ : कहीं की 667 और तराजू उठा-उठाकर हाथ थक गया।
की सिर (बिल्लियों को बन्दर की चालाकी का पता चल
बन्दर : बात गे कोई । गया और वे हाथ मलती हुई बड़ी उदासी से
' 7 बराइर। जात बराबर। शा )
है मेरा फैसला कि रोटी सफेद बिल्ली : आप थक गए,
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