मगरमच्छ की कहानी | MAGARMACHCH KI KAHANI

MAGARMACHCH KI KAHANI  by अरविन्द गुप्ता - Arvind Guptaहोस - HOSE

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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“लोग किसी के आभारी नहीं होते हैं, फिर भत्रा तुम इस लड़के का आभार क्‍यों मानो? इस लड़के को जल्दी से खाकर ख़त्म करो,” टोकरी ने कहा. “तुम्हारा बहुत धन्यवाद,” मगरमच्छ ने कहा. “मैं अभी इसे खाऊँगा.”




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