पामर - किसान का गाडी का सफर | KISAN PALMER KA GAADI SAFAR

KISAN PALMER KA GAADI SAFAR  by अरविन्द गुप्ता - Arvind Guptaविलियम एस० -WILLIAM S.

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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कछ देर में गाडी, एक लम्बे खतरनाक ढाल पर पहँची. बीच-रास्ते, गाड़ी को तेजी से झटका लगा. एक पहिए का नट जो उसे एक्सेल से जोड़े हए था ढीला पड़कर निकल गया. और उसके साथ ही पहिये ने गाड़ी को अलविदा कहा और तेजी से पहाड़ी पर नीचे मस्ती में लढ़कने लगा. पामर- किसान अपनी सीट से कदा और पहिये के पीछे भागा. भैया रुक जाओ! वह चिललाया. कपया रुको, वरना में कभी भी घर नहीं पहँच पाठउगा. मेरी पत्नी और बच्चे इंतजार कर रहे होंगे! पहिये को पामर की दुर्दशा में कोई दिलचस्पी नहीं दिखाई. वह उछलता, कदता, तेजी से भागा जा रहा था और बेचारा हताश सअर उसके पीछे-पीछे, आंस बहाता हआ दौड़ रहा था पामर-किसान ने अपने बेटे जैक के लिये खरीदे हार्मोनिका को अपनी जेब में उछलते हए महसस किया. उसने उसे बाहर निकाला और हांफते हए . एक छोटी धन बजाई रिथ-म, जी-ज जी-ज्वी ज़्वाडल ब्राडल डृू




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