लघु उपन्यास और कहानियां | LAGHU UPANYAS AUR KAHANIYAN

LAGHU UPANYAS AUR KAHANIYAN by अरविन्द गुप्ता - Arvind Guptaएंटोन चेकोव - ANTON CHEKOV

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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हो? कानून की परवाह किये बिना, एक मिनट में उससे छुट्टी पा ली जाय! स्थूकिन! तुम्हें चोट लगी है। तुम इस मामले को यू ही मत टालो इन लोगों को मज़ा चखाना पडेगा। ऐसे काम नहीं चलेगा। “ लेकिन मुमकिन है, जनरल साहव का ही हो,” कुछ अपने आपसे सिपाही फिर बोला, “इसके माथे पर तो लिखा नहीं है। उन जनरल साहब के श्रह्मते में मैंने कल बिल्कुल ऐसा ही कुत्ता देखा था।” ४ हा , हा, जनरल साहव का तो है ही! ” भीड में से किसी की आवाज़ श्रायी। “हु येल्दीरिन जरा मुझे कोट तो पहना दो। श्रमी हवा का एक झोका श्राया था, मुझे सरदी लग रही है। कुत्ते को जनरल साहब के यहा ले जाझो झौर वहा मालूम करो। कह देना कि मैते इसे सडक पर देखा था और वापस भिजवाया है शौर हा, देखो, यह भी कह देना कि इसे सडक पर न निकलने दिया करे मालूम नहीं, कितना कीमती कुत्ता हो और अगर सुझर इसके मुह में सिगरेट घुसेडता रहा तो कुत्ता बहुत जल्दी तबाह हो जायगा। कुत्ता बहुत नाजुक जानवर होता है औशौर तू हाथ नीचा कर, गधा कही का | अपनी गन्दी उगली क्‍यों दिखा रहा है? सारा कसूर तेरा ही है. ” “ यह जनरल साहब का बावर्ची श्रा रहा है, उससे पूछ लिया जाय। ए प्रोखोर ! इधर तो आना भाई इस कुत्ते को देखना, तुम्हारे यहा का तो नही है?” “ झ्रमा वाह! हमारे यहा कभी भी ऐसा कुत्ता नही था | ” “ इसमें पूछने की क्या बात थी? बेकार वक्‍त ख़राब करना है,” श्रोचुभेलोव ने कहा, “आवारा कृत्ता है। यहा खडे खडे इसके बारे में वात करता समय बरबाद करना है) तुम से कहा गया है कि सडक पर श्ध




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