ग़दर के फूल | GADAR KE PHOOL
श्रेणी : बाल पुस्तकें / Children
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
11 MB
कुल पष्ठ :
317
श्रेणी :
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लेखकों के बारे में अधिक जानकारी :
अमृतलाल नागर - Amritlal Nagar
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)( ६ )
के गदर में भाग लेने की कथा को गलत बतलाया ।
अक्सर प्रसिद्ध पुरुषो के साथ से ग़लत कथायें मी जुद जाती हैं और चूँकि
सडक के निमित्त गोरो द्वारा बाबा की समाधि खुदवाने की बात उठी थी इसलिये
गदर के मौसम मे किसी ने बाबा को, जहाँ सुई न समाय वहाँ फावडा चला कर,
गदर का हीरो बना दिया । चलो अच्छा ही हुआ, एक गलतफहमी साफ हुई ।
दरियाबाद पहुँचे । खड॒हरो का कस्बा है। निगम जी हमे पहले क़िला दिखाने
ले गये । पहुँचने पर सामने ऊँचे टीले पर एक बिल्डिग बनी है | यह दरियाबाद का
स्कूल है । भारत सेवक समाज का शिविर चल रहा था। बाहर कपडे पर उसका
सकेत पट ठेंगा था । ऊपर चढ़ते ही फर्श पर एक बडे इंदारे के निशान दिखलाये
गये थे । स्कूल की बिल्डिंग एक ओर बनी थी बीच मे बहुत बडा मैदान था और
उसके दूसरे सिरे पर भी कुछ कमरे बने हुये थे । मैदान किले के अन्दर ही था।
राम जाने पुराने ज़माने मे यहाँ क्या बना होगा, क्या न बना होगा । दक्षिण-पश्चिम
फी ओर किले की चहार दीवारी के कुछ भाग अवश्य बचे हैं। वहाँ पहुचने से पहले
एक टूटी तोप के तीन हिस्से पडे हुये देखे । क्रिकेट के गेंद जैसे गोले छोडने वाली
छोटी तोप रही होगी ।
हम लोग दीवार पर चढे । यह किले के पश्चिमी भाग की दीवार थी । वीचे
नाला था जो कभी किले की खाई का काम करता होगा । उसके बाद दूर तक ऊँचा
नीचा मैदान दिखलाई पड रहा था। कहा जाता है कि सौ बरस पसले यहाँ पर
एक मुहल्ला आबाद था जो पूर्व पर्चिचम के कोने पर कटरा रोशनलाल से लेकर
किले के दक्षिण तक फैला हुआ था । पूर्व पश्चिम का कोना इस समय घने पेडों से
आबाद है जिसमे महुआ के पेड अधिक हैं ।
श्री निगम ने बतलाया कि अग्रेजो ने किले पर आक्रमण करने के लिये पहले
इस मुहल्ले को ध्वस्त किया क्योकि घरो की आड होने से किले पर तोपें नही चल
पाती थी । निगम जी ने अपनी डायरी खोल कर इतिहास वतलाना आरभ किया ।
किले के छ बुर्ज थे छहो पर तोपें रहती थी । ग्रदर के जमाने में हरप्रसाद चकले
दार यहाँ रहते थे जिन्होने रणक्षेत्र मे वीर गति पाई । पूर्व दिशा मे मुख्य फाटक
था और उससे लगा हुआ ही दूसरा स्थान आज तक तोपखाने के नाम से प्रसिद्ध
है | कहते हैं यह किला वारहवी सदी मे मुहम्मद गोरी के समय वना था और अकवर
के काल मे मिर्जा अव्दुरहमान यहाँ के हाकिम थे ।
हम लोग तोपखाना भी देखने गये । तोपखाने वाले भाग में इस समय पद्धह
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