धरती और आकाश | DHARTI AUR AAKASHA VOLKOV

DHARTI AUR AAKASHA VOLKOV by अरविन्द गुप्ता - Arvind Guptaए० वोल्कोव - A. VOLCOV

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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रास्ते से भटक गया और पृथ्वी के बहुत ही समीप पहुँच गया। रथ की तेज किरणों से पृथ्वी पर स्थित सभी वस्तुएँ झुलसी जाने लगीं। शहरों और गाँवों, जंगलों, खेतों और घास के मैदानों आदि में आग लग गयी। लोग आतंकित होकर जलते हुए घरों से बाहर भाग निकले और देवताओं के पिता ज्यूस से इस भयानक विपत्ति का अन्त करने की याचना करने लगे। परन्तु अग्नि-रथ को कैसे रोका जाये? भला तेज सूर्य-घोड़ों का पीछा कौन करता?... ज्यूस ने फेतोत पर बिजली फेंकी और वह नवयुवक वहां ढेर होकर रथ से नीचे गिर पड़ा। डरे हुए घोड़े रुक गये। हौलिअस दौड़ा-दौड़ा रथ के पास आया और उसे भूतपूर्व मार्ग पर लौटा ले गया। तभी पृथ्वी पर अग्निकाण्ड समाप्त हुआ। भयभीत लोग जब होश में आये और उनकी दृष्टि आकाश पर पड़ी तो उन्होंने देखा कि सूर्य अपने अरस्तु के अनुसार विश्व का रूप जिसमें ग्रह बिल्लौरी शीशे वाले आकाशों से जुड़े हुए हैं। 15 “ घरती और आकाश




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