बच्चे कब क्या सीखते हैं ? | BACHCHE KAB KYA SEEKHTE HAIN

BACHCHE KAB KYA SEEKHTE HAIN  by अरविन्द गुप्ता - Arvind Guptaए० अनंत - A. ANANT

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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14 बच्चे कब क्‍या सीखते हें : वंश के सदस्य होते हुए भी उनमें अन्तर था। इसलिए इन अन्तरों का कारण वंशानुसंक्रमण (ँ०७८०॥७) के अतिरिक्त अन्य ही कोई कारक हो सकता है। (4) प्रत्येक व्यक्ति की उत्पत्ति में माता-पिता के केवल आधे-आधे ही पित््यक आ पाते हैं। माता-पिता के पित्यैक का कैसा सम्मिलन होगा यह नहीं कहा जा सकता। फलतः अनेक उत्तम गुण माता-पिता में मिल सकते हैं और उनके बच्चों में इनका अभाव हो सकता है, एक पुरखे की प्रतिभा के स्थान पर उसके वंशज में अयोग्यता, मूर्खता और पागलपन हो सकता है। द (5) वंशानुसंक्रमण के समर्थक जब इन परिवारों के वंशजों का अध्ययन करते हैं तो वे इस बात को भूल जाते हैं कि वातावरण का भी प्रभाव इन वंशजों पर हो सकता है। क्या यह सत्य नहीं है कि एक निर्धन और बुद्धिहीन व्यक्ति अपने बच्चों का लालन-पालन उचित ढंग से नहीं कर सकता ? क्‍या यह सत्य नहीं है कि एक धनिक व्यक्ति को वे सारी सुविधाएं प्राप्त हैं जिससे कि वह अपने बच्चों को उचित शिक्षा दिला सकता है ? क्‍या यह सत्य नहीं है कि इस दृष्टिकोण से इन दो प्रकार के परिवारों के वातावरणों में विभिन्नता थी ? वातावरण मनुष्य की बुद्धि पर वातावरण का कया प्रभाव पड़ता है, इसका अध्ययन करने के लिए नियन्त्रित प्रयोगों की शरण ली गई। ऐसे प्रयोगों में यह आवश्यक था कि वंशानुसंक्रमण स्थिर रहे और वातावरण के प्रभाव को विभिन्न प्रकार से ज्ञात किया जाए। अतएव जुड़वां बच्चों (1४773) का अध्ययन अत्यन्त लाभकारी था। गाल्टन ((5४11०7) ने इस प्रकार के अध्ययनों का पिछली शताब्दी में श्रीगणेश किया था। जुड़वां बच्चे दो प्रकार के होते हैं। एक तो वे जो कि माता के दो एक उत्पादक कीष्ठ के विभाजन से बनते हैं। और दूसरे वे जो माता के उत्पादक कोष्ठों से बनते हैं। जो जुड़वां बच्चे माता के एक ही निषिक्त (#९7४112०0) अंडकोष से बनते हैं, उनमें सामान्य पिच्यैक (5०76७) होते हैं। फलतः वंशानुसंक्रमण (प्०८०॥५४) के कारक सामान्य होते हैं। यदि ऐसे जुड़वां बच्चों को विभिन्न वातावरणों में रखा जाए तो वातावरण का प्रभाव निश्चित रूप से ज्ञात हो सकता है। इसी आशय को लेकर जुड़वां बच्चों का अध्ययन हुआ है। एक ही वातावरण में पले जुड़वां बच्चों का अध्ययन अत्यन्त रुचिकर है। डाओन नाम की एक स्त्री की पांच बहनें थीं जो कि माता के एक ही निषिक्त अंडकोष के विभाजन से बनी -थीं। अतएव इनका वंशानुसंक्रमण (स्र&८०ा५) सामान्य था-तथा वे एक ही परिवार में पाली गईं। इसलिए साधारण रूप से यह भी




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