बातूनी और गप्पी | BATOONI AUR GAPPI

BATOONI AUR GAPPI by अरविन्द गुप्ता - Arvind Guptaगर्दा -GARDA

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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कुछ दिनों बाद पत्नी ने किसान से कहा, “सुनो, मुझे बहुत डर ल्रग रहा है. मैंने सुना है कि राजा ने दूर-देश से सिपाही बुल्लाए हैं. उन सिपाहियों की नुकीली चोंचे हैं जिन्हें चुभो-चुभोकर वो लोगों को मार डालते हैं. आज वो हमारे गाँव से गुजरने वाले हैं. हमें कहीं छिप जाना चाहिए. तुम कपड़े धोने वाले इस बड़े टब के नीचे छिप जाना. में ऊपर के कमरे की अटारी में छिप जाऊंगी. जब उन्हें घर में कोई नहीं मिलेगा तो फिर वो सिपाही झक मारकर चले जाएंगे.




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