हिंदुत्व | HINDUTVA
श्रेणी : बाल पुस्तकें / Children
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
15 MB
कुल पष्ठ :
167
श्रेणी :
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लेखकों के बारे में अधिक जानकारी :
दामोदर वीर सावरकर - DAMODAR VEER SAVARKAR
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पुस्तक समूह - Pustak Samuh
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
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॥2 कक
आनन्द लें । हिन्दू जेसे पहले थे, वेसे फिर हो जाय॑। हिन्दुत्व
ही हिन्दू-जातिका प्राण है ओर यह प्राण ही संघटनका कक. कप
है। इसलिये जिस लेखकने हिन्दुत्वके लक्षण बतलानेवाली
शास्त्रीय पुस्तक लिखी है उसने सचमुच ही हिन्दू-संघटनकी
आधारभूमि ही दिखा दी है। आओ, इस आधारभूमिपेः रः हमे. म
आप खड़े हो ज्ञायं, हिन्दुत्वके भंडेके नीचे एक हो उ ५० ँय
इस स्मतिवचनको साथ्थक कर कि, (9
येनास्य पितरों याता येन याता: हमर
।
हे झा
देख से तथा हिन्दू-संस्कृतिके इन्दुचत सुशीतरू स्वच्छ प्रकाशका रे
तेन यायात्सतां मार्ग तेन गच्दइ टःः प
क्ष्मणनारायण गर्दे
सूचमा--मुल्ल पुर्तककी भ जे प अ
भाषाल्तरमें जो कोई दोष हों
काल दिया गया हे जिसमें “हिन्दुइज्म”
कि भा बातरमें इस शब्दके विचारकी कोई अआव-
प्रतीत हुइ। अन्य सब अध्यायोंका संपूर्या
स्तेे के अध्यायपर जो शीषक है वह मूल पुरुतकमें
बने जो कोई दोष हुआ हो, घह मेरा है ।
ल्० नाॉ० गये.
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