इलेक्ट्रिनिकी आपके लिए - अक्टूबर 2016 | ELECTRONIKI AAPKE LIYE-OCTOBER 2016
श्रेणी : बाल पुस्तकें / Children
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
2 MB
कुल पष्ठ :
57
श्रेणी :
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पुस्तक समूह - Pustak Samuh
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)सथ्यबामासैट
इस उपग्रह का निर्माण चैन्ने के सथ्यबामा विश्वविद्यालय में किया गया । उपग्रह के निर्माण में
इसरो ने आवश्यक मार्गदर्शन प्रदान किया। इसे 22 जून 2016 को पी.एस.एल.वी.-सी 34
की उसी उड़ान से प्रमोचित किया गया जिसने इसरो के द्वारा 20 उपग्रह एक साथ प्रमोचन
करने का रिकार्ड बनाया | इस उड़ान के द्वारा भारत ने अकेली उड़ान से इष्टतम उपग्रहों के
वर्श 2008 के रिकार्ड को तोड़ा | सथ्यबामासैट उपग्रह का भार 1.5 किग्रा. है तथा इसमें
इन्फारेड ग्रेटिंग स्पेक्ट्रम मापी लगा हुआ है। यह 900 नैनोमीटर से 1700 नैनोमीटर तरंग
देर्ध्य आवृत्ति पर 15 कि.मी. के स्थानिक (स्पैटियल) विभेदन पर कार्य करता है। इस
उपग्रह का प्रमुख उद्देश्य वायुमण्डल में ग्रीन हाउस गैसों (जलवाष्प, कार्बन मोनो
ऑक्साइड, मीथेन एवं हाइड्रोजन फ्लोराईड) के आँकड़े एकृत्र करना है। उपग्रह की परिमाप
100 मि.मी. » 227 मि.मी. है। अभिवृत्ति नियंत्रण के लिए इसमें 6 सूर्य संवेदक लगे हुए हैं। तथ्यवामातैट उपग्रह
अंतरिक्ष में इसकी कक्षा प्रथ्वी से 509 कि.मी. की दूरी पर है तथा इस कक्षा का प्रथ्वी की
भूमध्य रेखा पर झुकाव 97.41 डिग्री है। पृथ्वी से सम्पर्क रखने तथा संचार के लिए इसमें
बीकन आवृत्ति के साथ दो प्रस्तरणीय डाइपोल एन्टेना का प्रयोग किया गया है। इसमें लगे
सौर सेल 4.2 वॉट पावर का जनन करते हैं तथा पॉवर संचयन के लिए इसमें 1800 मिली इस उपग्रह का प्रमुख लक्ष्य
एम्पीयर आवर की लीथियम आयन बैटरी लगी है | उपग्रह का संरचनात्मक स्वरूप क्यूबसैट विद्यार्थियों को अंतरिक्ष तंत्रों की
पर आधारित है। सथ्यबामा विश्वविद्यालय के निदेशक ने बताया कि इस उपग्रह का प्रमुख वास्तविक जानकारी देना है। इसमे
लक्ष्य विद्यार्थियों को अंतरिक्ष तंत्रों की वास्तविक जानकारी देना है। इसमे लगे ग्रेटिंग लगे ग्रेटिंग स्पेक्ट्रोमीठर की
स्पेक्ट्रोमीटर की परिमाप 4.5%5»8 सेन्टीमीटर है जो कि एक क्यूबसैट मिशन के लिए. परिमाप 4.5%5»8 सेन्टीमीटर है जो
सर्वथा उपयुक्त है। इस उपग्रह से एकत्रित्र किये गये आंकड़ो से भारत के प्रदूषण मॉडल का कि एक क्यूबसैट मिशन के लिए
विकास किया जायेगा । उपग्रह का अनुमानित जीवन काल कम से कम 6 महीने का है तथा सर्वथा उपयुक्त है | इस उपग्रह से
यह बढ सकता है। सध्यबामा विश्वविद्यालय के उपकुलपति एवं मिशन प्रबंधक डॉ. बी. एकत्रित्र किये गये आंकड़ो से
शीला रानी ने बताया कि इस परियोजना के विकास में 6 वर्ष से अधिक समय लगा तथा भारत के प्रदूषण मॉडल का विकास
उपग्रह के उड़ान माडल के निर्माण से पहले विद्यार्थियों के 5 बैचों को इससे अनुभव प्राप्त किया जायेगा | उपग्रह का
हुआ है। इस अवधि में विद्यार्थियों के पास उपग्रह के डिजाइन के विभिन्न चरणों की अनुमानित जीवन काल कम से
जानकारी प्राप्त करने के अनेक अवसर आये। इसरो के विशेषज्ञों- श्री रामकुमार, कम 6 महीने का है तथा यह बढ
श्री मुरलीधर, श्री रामन, मैडम श्री विद्या ने नियमित रूप से एवं समयानुसार एवं सकता है।
आवश्यकता अनुसार विद्यार्थियों से इस उपग्रह के सभी पहलुओं पर इंटरएक्ट किया और
मार्गदर्शन प्रदान किया ।
स्वयम उपग्रह हजार रा सफ
इसरो के मार्गदर्शन में इस उपग्रह का निर्माण पुणे के एक इंजीनियरिंग कॉलेज में किया न्कु > 4
गया। इसका भार 1 किग्रा. है। उपग्रह का डिजाइन (ढाँचीय) एवं इसके इलेक्ट्रॉनिकी एवं
नियंत्रण तंत्र तथा उपग्रह का निर्माण इसरो के मार्गदर्शन में कॉलेज के विद्यार्थियों के द्वारा
किया गया। उपग्रह का प्रमुख उद्देश्य हैम समुदाय के लिए दो बिन्दुओं के बीच (प्वाइंट-टु-
प्वाइंट) संदेश सेवा प्रदान करना है। हैम सेवा को हैम रेडियो या अमैच्योर रेडियो भी कहते
हैं जो कि मूल रूप से गैर-व्यावसायिक संदेश आदान-प्रदान सेवा है। स्वयम उपग्रह का
प्रमोचन भी 22 जून 2016 को पी.एस.एल.वी.-सी 34 उड़ान के द्वारा किया गया। इसे पृथ्वी
से 509 कि.मी. की दूरी पर प्रथ्वी की निम्न कक्षा में स्थापित किया गया जिसका (कक्षा का)
पृथ्वी की भूमध्यरेखा पर झुकाव 97.41 डिग्री था। इस उपग्रह का प्रमुख नीतभार हैम सेवा
का संचार तंत्र है। उपग्रह का वैज्ञानिक लक्ष्य है निष्क्रिय (पैसिव) अभिवृत्ति नियंत्रण तंत्र का
प्रदर्शन जिसके द्वारा उपग्रह को स्थायित्व और समुचित दिकविन्यास प्रदान किया जा सकता स्ववम उपग्रह
इलेक्ट्रॉनिकी आपके लिए ०17० अक्टूबर 2016
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