बहादुर टॉम | BAHADUR TOM

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मार्क ट्वेन - MARK TWAIN

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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अपने-आप ही निकल गया, “में हकिलबरी फिन से बातें करने के लिए रुक गया था, मास्टर साहब !” मास्टर साहब ने पूछा, “क्या करने गए थे तुम ? ” “हकिलबरी फिन से बातें करने के लिए रुक गया था ।” फिर अपनी बात दुहरा दी टॉम ने । मास्टर साहब टॉम की जेकट उतरवाकर तब तक बेंतें लगाते रहे जब तक कि थक नहीं गए फिर उन्होंने आदेश दिया, “जाओ, लड़कियों के बीच बेठो ! तुम्हें अब आगे के लिए सावधान हो जाना चाहिए ।” टॉम उसी लड़की की बगल में जा बैठा । वह लड़की अपना सिर झटककर जरा-सी खिसक गई । थोड़ी देर में सारी क्लास पढ़ाई में लग गई और टॉम की तरफ किसी का ध्यान भी नहीं रह गया था। टॉम अब कनखियों से रह-रहकर उस लड़की को देखने लगा । लडकी _ ने यह देखा तो मुंह चिढ़ाकर दूसरी तरफ मुंह फेर लिया । इस _ बार उसने सिर घुमाया तो उसके सामने एक आडू रखा हुआ था । उसने उसे टॉम की तरफ खिसका दिया। टॉम ने तुरंत ही उसे फिर उसकी तरफ कर दिया । लड़की ने इस बार भी आड़ खिसका दिया, किंतु इस बार उसकी हरकत में उतनी कठोरता नहीं थी । टॉम ने तुरंत फिर उसे उसके सामने डाल दिया । इस बार उसने उसे वहीं-का-वहीं पड़ा रहने दिया। टॉम ने अपनी स्‍लेट पर लिख दिया, “इसे ले लो न, मेरे पास और हैं।” लड़की ने उसके लिखे शब्दों को पढ़ तो लिया, किंतु जरा भी हिली-डुली तक नहीं । अब टॉम बाएं हाथ से अपनी स्लेट छिपाकर उस पर कुछ बनाने लगा | क्षण-भर तो उस लड़की 1823 18788 है 601 17 7 ८1 कह) 17,119, 27 00 हल मिल) छल, 23 मा हिल हिल. दम 12 मत कल गिल कली कि हम हर मकान ि ज 87 शत किन लक हल 28 : बहादुर टांग ने उसको तरफ ध्यान ही नहीं दिया, कित फिर उसकी उत्सुकता जाग उठी और वह टॉम की स्लेट देखने की कोशिश करने लगी । टॉम बिना ध्यान दिए अपने काम में लगा रहा। अंत में लड़की को हार माननी ही पड़ी । संकोच- पूर्ण स्वर में उसने फुसफुसाकर कहा, “मुझे भी देखने दो न !” टॉम ने अपने हाथ हटाकर एक मकान की तस्वीर दिखा दी । लड़को को दिलचस्पी उस तस्वीर में धीरे-धीरे बढ़ने लगी और वह सब-कुछ भूल गई। क्षण-भर उसे देखकर बोली, “बहुत अच्छी बनी है यह तो--एक आदमी भी बना डालो न !” कलाकार ने मकान के सामने एक आदमी को भी खड़ा कर दिया, जो दानव-जैसा लगता था। किंतु उस लड़की को _ इतने से ही संतोष हो गया । बोली, “केसा सुंदर मनुष्य बना । अब मुझे आती हुई बनाओ ।” टॉम ने जैसे-तैसे एक नारी आकृति भी बना डाली और उसकी फैली हुई उंगलियों में एक पंखा भी पकड़ा दिया लड़की बोली, “वाह, कितनी अच्छी तस्वीर बनाई है तुमने ! काश, में भी ऐसी तस्वीरें बना सकती !” यंह तो बहुंत आसान है।” टॉम फुसफुसाया, “मैं तुम्हें सिखा दूंगा ।” “सच, सिखा दोगे 2? कब 2” “दोपहर में । तुम खाना खाने घर जाती हो ?” “अगर तुम रुको तो में भी रुकी रहूंगी ।” बहुत अच्छा, यही ठीक रहा | --सुनो, तुम्हारा नाम क्या है?” बहादुर टॉस : 29




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