सम्राट और पतंग | SAMRAT AUR PATANG

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जेन -JANE

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पुस्तक समूह - Pustak Samuh

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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करें मेरी पतंग हवा में ऊपर उड़े वो ऊंचे स्वग तक पहुंचे. जिससे सम्राट पंखों पर उड़ें. छुटकी राजकमारी ने सन्‍्यासी का शुक्रिया अदा करने की सोची. पर फिर वो रुकी. उसे गीत कुछ अलग लगा. इस बार उसके शब्द कुछ अलग थे. “रुका!” उसने सन्‍्यासी को पुकारा. पर तब तक सनन्‍्यासी वहा से आगे जा चुका था. आखिरकार वो एक सन्‍्यासी था और उसे सांसारिक चीज़ों से कुछ ख़ास लेना-देना नहीं था. तब छुटकी राजकुमारी को एहसास हुआ कि सन्‍्यासी ने उसे गीत के ज़रिए कोई ज़रूरी सन्देश पहुँचाया था. तब जाकर उसे सन्‍्यासी की बात समझ में आइ.




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