कल्लू की दुनिया -2-: मंच पर खिलंदडी | KALLU KI DUNIYA - 2 - MANCH PAR KHILANDARIPRATHAM
श्रेणी : बाल पुस्तकें / Children
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
2 MB
कुल पष्ठ :
23
श्रेणी :
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पुस्तक समूह - Pustak Samuh
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सुभद्रासेन गुप्ता SUBHADRA SEN GUPTA
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)मुनिया धीमे से हँसी और फिर जैसे-जैसे और लोगों ने रावण का चेहरा देखा, वे
भी हँसने लगे। जब रावण अपनी भुजायें हिला रहा था, उसकी नकली मूँछ का
एक हिस्सा उसके गाल पर से छूट कर, उसके होठों पर काले केंचुए सा लटक
आया था।
जहाँ कल्लू बैठा था वहाँ से उसे दिख रहा था कि मास्टर जी पूरे ज़ोर से हाथ
हिला के, अपने चेहरे की तरफ़ इशारा कर रहे थे।
अपनी पंक्तियाँ कहने को तैयार हनुमान ने हैरानी से दर्शकों को देखा। यह तो
गंभीर दृश्य था। किस वजह से हँसी आ रही थी इन्हें?
“क्या हुआ?” उसने अँधेरे में आँखें गड़ा के पूछा, “हँस क्यों रहे हो?”
“रावण की मूँछ गिर रही है बदरी भैया।” किसी ने पीछे से सूचना दे के हनुमान
की उलझन सुलझाई। “ओ हो! सॉरी।” रावण घबरा के उछला और अपनी मूँछ
वापस चिपकाई। फिर पसीने से तर चेहरा मंदोदरी की तरफ़
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