हालत और खराब हो सकती थी | HALAT AUR KHARAB HO SAKTI THEE

HALAT AUR KHARAB HO SAKTI THEE  by अरविन्द गुप्ता - Arvind Guptaमर्गोट - MARGOT

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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कुछ दिनों और हफ़्तों के बाद उस आदमी की झोपड़ी में रहना बिल्कुल दुश्वार हो गया. अब लड़ाई-झगड़े, रोने-चीखने और जानवरों की आवाजों के साथ-साथ बकरी सभी को धक्का देती और अपने सींग मारती. अब बच्चे ओर बड़े हो गए थे, और झोपड़ी पहले से छोटी नज़र आने लगी थी. जब उस अभागे आदमी से ओर ज्यादा बर्दाश्त नहीं हुआ तो वो फिर से भागा-भागा पुजारी के पास पहुंचा.




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