तितास एक नदी का नाम | TITAS EK NADI KA NAAM

TITAS EK NADI KA NAAM by अद्वैत मल्ल्बर्मन - ADVAIT MALLBURMANअरविन्द गुप्ता - Arvind Guptaचन्द्रकला पाण्डेय - CHANDRAKLA PANDEY

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चन्द्रकला पाण्डेय - CHANDRAKLA PANDEY

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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इस बात में है कि वह इन शून्यों के बीच एक अभूतपूर्व बहनापा दर्शाता है। जमीला उदयतारा से बहनापा जोड़ने के लिए पागल है तो अनन्त की माँ को सुबला बऊ से बहनापे के कारण काम का सहारा मिलता है। अनन्त की माँ उसी गाँव में अपना “नया ठिकाना' बनाती है। इस गांव के घाट पर उतरते ही वह एक पागल युवक को उसके बूढ़े मां-बाप के साथ देखती हैं, जो उसे नदी में नहलाने के लिए लाए थे। वस्तुतः यही पागल उसका माला-बदल पति किशोर था, जो उसी की वजह से पागल हुआ था। लेकिन यह उसे पहचानती नहीं थी। इसी बीच नाव-दुर्घटना में सुबल भी मारा जाता है। अब बसन्ती (सुबला बऊ) उसको विधवा के रूप में सामने आती है। इसी अध्याय में ग्राम-पंचायत के बीच से कुछ और पात्रों का परिचय मिलता है, जिनमें प्रमुख हैं- मातबर रामप्रसाद, दयाल चाँद, भारत, किसनचंद, मोहन और उसकी माँ (मंगला बऊ) आदि। इस खण्ड के दूसरे अध्याय जन्म, मरण और विवाह' में मालोपाड़ा के सम्पन्न कालोबरन के परिवार का उल्लेख है, जिसके पुत्र के अन्नप्राशन में बासन्‍्ती और अनन्त की माँ, दोनों आमन्त्रित होती हैं। वहाँ कुछ प्रसंग उठते हैं, फ़िर संक्रान्ति-पर्व पर ये पागल किशोर के घर में ही पीठा बनाने के लिए जाती हैं। यहाँ कथा के अनेक पूर्वापर सम्बन्ध जुड़ते हैं, जिनसे अनन्त की माँ समझ जाती है कि किशोर ही उसका माला-बदल पति था। बासन्ती को भी इस बात का कुछ-कुछ आभास हो गया था कि यही वह नारी है, जिसके लिए किशोर आज पागल था। अनन्त की माँ किसी भी तरह पागल के साहचर्य में आना चाहती है और पुरानी स्मृतियों को सामने लाकर उसे पुनः होशमंद बना लेना चाहती है। इसी प्रयास में होली के दिन उसे अबीर लगा देती है, लेकिन इससे किशोर का उन्माद बढ़ जाता है। उत्तेजना में वह उसे गोद में उठाकर चिल्लाने लगता है- डाकुओं ने सती को हाथ लगा दिया, बचाओ, मारो आदि। होली के हुल्‍्लड़ में मतवाले गाँववाले पागल के इस व्यवहार को स्त्री-असम्मान समझ लेते हैं और उसकी जमकर पिटाई की जाती है। मार के आघात से किशोर दूसरे ही दिन मर जाता है और इस घटना से आहत, होकर पहले से ही थकी, टूटी अनन्त की माँ भी चार दिन के बाद मृत्यु को प्राप्त हो जाती है। तृतीय खण्ड के 'इन्द्रधनुष' शीर्षक पहले अध्याय में भयंकर आधिक अभाव के बावजूद बासन्ती को अनाथ अनन्त का दायित्व लेते देखा जाता है लेकिन निरन्तर उपेक्षा, मारपीट से उसे यह आश्रय छोड़ देना पड़ता है। अनन्त एक नितान्त आत्मसम्मानी, कल्पनाशील, भावुक, स्वतन्त्रचेता बालक है। वह बनमाली और उसकी बहन उदयतारा के साथ उनके गाँव चला जाता है। यहाँ आकर लेखक बनमाली की दो और बहनों 16 :: तितास एक नदी का नाम




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