गांधी -नमक यात्रा | GANDHI - NAMAK YATRA

GANDHI - NAMAK YATRA by अरविन्द गुप्ता - Arvind Guptaएलिस मिकगिन्टी - ALICE MCGINTY

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पुस्तक समूह - Pustak Samuh

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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है. जैसे-जैसे अनचित क़ानून टूटेंगे, * जैसे-जैसे लोग खद अपना कपड़ा बनेंगे जैसे-जेसे और लोग इस आन्दोलन में जड़ेंगे, वैसे-वैसे हम अपनी आज़ादी की लड़ाई में और आगे बढ़ेंगे. धूल से भरी सड़कों पर चप्पल पहने सत्याग्रही सूरज निकलते ही अपनी यात्रा शुरू कर देते हैं. वे कपास के खेतों और नदियों को लांघते गांवों और शहरों के चक्कर लगाते हैं.




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