सूफीमत और हिंदी साहित्य | SUFIMAT AUR HINDI SAHITYA

SUFIMAT AUR HINDI SAHITYA by अरविन्द गुप्ता - Arvind Guptaडॉ० विमल कुमार जैन - Dr. Vimal Kumar Jain

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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सुफौसत का झाविर्भाव ७ समानता दिखाते हुए उन्होंने यह सिद्ध किया है कि भारतवर्ष ही मेसोपोटामिया और अरब की सभ्यता का स्रोत था । भारत की चेरा जाति का नेता अन्नाहम भारतीय सभ्यता को श्ररब में ले गया था । “इस्लाम” शब्द की व्यृत्पत्ति से भी यही ज्ञात होता है कि यह इस्लेम से मिलता-जुलता है जिसका भ्रर्थ उत्तम धर्म है और जो भ्रग्नाहम की परम्परा से सम्बन्ध रखता था। उत्तरी अरब के लोगो का निकास आदस से ही माना गया है* जो अन्नाहम (इब्नाहीम) के पृत्र इस्माईल का वशज था । इसके अतिरिक्त बौद्ध प्रचारक भी ईसवी सन्‌ से पूर्व ही मिश्र, ऐलेग्ज़ेड़िया आदि स्थानों पर पहुँच चुके थे जिनका यहृदियों पर पर्याप्त प्रभाव पड़ा था। रमन के अनुसार फिलस्तीन में भी ईसा से यूव ही बौद्ध प्रचार प्रारम्भ हो गया था । ईसा से दो सौ पचास वर्ष पूर्व श्र्थात्‌ अशोक के समय से ही यूनान तक बौद्ध यतियों की पहुँच हो चुकी थी। अशोक के एक शिलालेख से यह बात स्पष्ट हो जाती है कि उसने यहूदी तथा यूनानी राजा एंटीझ्रोकस से सन्धि४ की थी। प्रत्यक्ष या भ्रप्त्यक्ष रूप से जैन-प्रभाव भी पड़ा था, क्योकि ईसाई सनन्‍्तो एवं सूफियों में ऊनी परिधान पश्रर्थात्‌ सादा वस्त्र की प्रथा हमे जैन एवं बौद्ध मत के श्परिग्रह सिद्धान्त के प्रभाव का ही परिणाम जान पड़ता है जो वहाँ ईसाइयों से पूर्व ही विद्यमान था । इससे हम इस परिणाम पर भाते है कि बौद्ध धर्म ने यहुदी जीवत पर छाप अकित कर आगे भवित-प्रधान ईसाई धर्म के सन्‍्यस्त जीवन का द्वार खोला होगा । अरब तथा उसके समीपवर्ती देशो में इस प्रकार ईसा के पूर्वकाल से ही अरबी, यहूदी तथा भारतीय विश्वासों का सम्मिश्रण हो गया था । ईसा की तीसरी शताब्दी में ईसाई प्रचारकों ने अरब मे पग रखे और नजरान” में श्राकर बसे । ईसाई साध इतस्ततः भ्रमण करते तथा हनीफ लोगो को मूर्ति-पूजा के त्याग और एकेश्वरवाद की शिक्षा देते थे । साथ ही सन्यस्त जीवन को अपनाने के लिए उत्साहित करते थे और सादा वस्त्र एवं अनेक प्रकार के भोजनों से निवृत्ति की शिक्षा भी देते थे । मुहम्मद साहब के जन्म के समय तक अरब में ईसाई धर्म यहूदी प्रभाव को समाप्त कर चुका था परन्तु अ्रभी सस्कार विद्यमान थे । स्वयं पेगम्बर साहब पर ईंसाइयों का प्रभाव पड़ा था । श्रब में अ्रनेक जातियों ने श्रधिक या च्यून भ्रश में ईसाई धर्म को स्त्रीकार कर लिया था। महम्मद साहब का अनेक ईसाइयो से परिचय 33+#-> ->«+-2म जल टारनन कक ताक नतत+ कान है. 2लननन-नगनणेकनमि फनी 3.+ के अन्न मयंक 3 (दा क#दा।दारखिद & (92%112008/801 70 106 /१1६/६६६४८, ४), ४.6 - 3 18. - 3 4 107०५ सतछ0/9] था 116 3-द8, +, 28 3 *[0670870 81380 7७068 ० छोडंड 848 रद य तय ते 17 78/९8४3६8 13601'8 86 ए्रल्ाड 878... (द्रध॥2570 २१४ (1 76/ए६1२४०४7, ढ हद स्‍ग4/८8॥5 (पं 26, 2, 392) 5 1 द्रविवामाध्वद 10619, |, हर,




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