पिंजरे में कैद चिड़िया | PINJRE MEIN KAID CHIDIYA

PINJRE MEIN KAID CHIDIYA by अज्ञात - Unknownपुस्तक समूह - Pustak Samuh

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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अरी ने बढी औरत को पैसे थमाए. फिर उसने पिंजरे के दरवाज़े में अपना हाथ घसाया. वो नयी चिड़िया अभी भी कांप रही थी पर वो अरी के हाथ के सामने से नहीं हटी. अरी ने उसे सावधानी से बाहर निकाला और फिर अपने पोरों से उसके पंखों को धीरे से सहलाया वो चिड़िया के दिल की धड़कन को आसानी से सन सकती थी अरी ने चिड़िया के सर को चमा. उसने चिड़िया को अपने हाथ से ऊपर उठाया और फिर एक लम्बी, गहरी सांस ली. उसने धीमे से अपनी उगलियाँ खोलीं. एक क्षण के लिए चिड़िया सहमी फिर उसके पंख फड़फड़ाए और वो अरी का हाथ छोड़कर आसमान में उड़ी.




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