हसमुख बिजूका | HASMUKH BIJUKA

HASMUKH BIJUKA by जीन ए० मोदी - JEAN A. MODIपुस्तक समूह - Pustak Samuh

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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सुबह होते ही खरगोशनी अपने बच्चों को लेकर वहां से भाग गई। रैग्स बहुत खुश था कि उसने खरगोशों को डराकर भगा दिया और सब्ज़ी की क्यारियों को बचा लिया। विस्कर अपने दोस्त को खुश देखकर बहुत खुश हुआ। बिजूका रेग्स अपनी जगह पर ही खड़ा रहा ओर सब आनेवालों को देखता रहा। जब सुबह हुई तो रैग्स ने पंखों की फड़फड़ाहट सुनी। नन्‍्ही-नन्‍्ही चिडियां आकर मकक्‍का के भुट्टों पर आराम से बैठ गईं और दाना चुगने लगीं। रेग्स जिन्दा था। वह गुस्से से लाल-पीला हो गया। वह चुपचाप आगे बढ़ा और अपनी लम्बी-लम्बी बांहों से चिडियों को मारने लगा। चिडियां भी डरकर उड गयीं।




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