सर की कार, सर पर सवार | SAR KEE CAR, SAR PE SAVAR

SAR KEE CAR, SAR PE SAVAR  by जसेकला अरोरा - J. ARORAपुस्तक समूह - Pustak Samuh

लेखकों के बारे में अधिक जानकारी :

जसवीर सिंह अरोड़ा 'जसेकला' - Jasvir Singh Arora 'Jasekala'

जसवीर सिंह अरोड़ा 'जसेकला' - Jasvir Singh Arora 'Jasekala'

नाम : जसवीर सिंह अरोड़ा

पैन-नेम : जसेकला

जन्म : 10 जनवरी 1970 (अतरौली/अलीगढ़)

शिक्षा/कार्य : पढ़ाई से इलेक्ट्रिकल इंजीनियर, भारतीय रेलवे में चीफ मैटीरियल मैनेजरके पद से 2019 में स्वैच्छिक सेवा निवृति। अभी स्वाध्यायऔर समाज सेवा में कार्यरत ।

अन्य कृतियाँ : समौसे डिकॉउंट पर (लघु कथायें),
4 कविता संग्रह : शौकिया, सीधे सादे लफ़्ज़ों में , सच की तह तक और सर की कार सर पे सवार; प्रार्थना (मदर टेरेसा की), गुरवाणी।

Read More About Jasvir Singh Arora

पुस्तक समूह - Pustak Samuh

No Information available about पुस्तक समूह - Pustak Samuh

Add Infomation AboutPustak Samuh

पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

(Click to expand)
दिल्‍ली के चुनाव से पहले कोई चाय पिला रहा है कोई हाथ हिला रहा है पर तड़के सुबह रोज रामू निकल पढ़ता है बिना टोपी लगाये दिल्‍ली की सड़कें साफ करने क्यूंकि लंबी झाड़ू ही तो रोजी-रोटी का औजार है उसके लिए न कुछ बदला है न ही उम्मीद है सिर्फ उसकी झाड़ू का मजाक उड़ा है जैसे हरिजन कहकर हुआ था कभी, साफ सड़क पर वाहन दोड़ते है कूडा फेंका जाता है सबको रामू के रोजगार की फिक्र है और ठेकेदार के कांट्रेक्ट की भी। ओपिनियन पोल जो भी आता है मांगने मैं उसको हां कह देती हूं क्यूंकि न कहने पर वो मेरी राय बदलने की कोशिश करने लगता है जब सर्वे वाले आते हैं मुझे पता लग जाता है उनके सवालों और लहजे से वे किसकी तरफ से आये हें, हों कितने भी समझदार वो में भी बेवकफ तो नहीं हूं आखिर मुझे ही तो खोलनी है उनके दावों और वायदों की पोल।




User Reviews

No Reviews | Add Yours...

Only Logged in Users Can Post Reviews, Login Now