हिंदी कहानियाँ | HINDI KAHANIYAN

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डॉ० श्रीकृष्ण लाल - Dr. Shree Krishn Laal

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पुस्तक समूह - Pustak Samuh

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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भूमिका १७ ओर चेतना है। पाश्रात्य शिक्षा के प्रभाव से हमारे दृष्टिकोण में महान्‌ परिवर्तन उपस्थित हो गया। आधुनिक शिक्षा की दो प्रमुख विशेषताएँ है-.यह आअलोचनात्मक और वैज्ञानिक है। यह सन्देह का पोषण करती है और गुरुडम की विरोधी है; प्रकृति की भोतिक सत्ताओं पर विश्वास करती है और अभौतिक अथवा अतिभौतिक सत्ताओं का अविश्वासी है; व्यक्तिगत स्वधीनता की घोषणा करती है और रूढ्ियों, परंपराओं तथा अंधविश्वासों का विरोध करती है| इस बुद्धिवाद के प्रभात से हमें भूत, प्रेत, जिन्न, देव, राज्ुस, उड़न-खटोला, उड़नेवाला घोड़ा इत्यादि अभौतिक अथवा अ्रतिभौतिक अप्राकृत अथवा अति- प्राकृति अ्रमानुषिक अथवा अतिमानुषिक सत्ताओं में अविश्वास होने लगा। फलतः) कहानियों में इनका उपयोग असह्य जान पड़ने लगा | इस प्रकार आधुनिक काल में कहानी की सृष्टि करने में केबल आकस्मिक घटनाओं ((.)०811065) और संयोगों ((01701087108७) का ही सहारा लिया जा सकता है। प्रसाद, ज्वालादत शर्मा आर विश्वम्भरनाथ शर्मा 'कौशिक? की प्रारम्मिक कहानियों में यही हुआ भी । कहानी लेखक को कथानक चुनने श्रौर उसका कार्य क्रम सजाने में अ्रव अधिक सतक रहना पड़ता था, क्‍योंकि श्रभोतिक तथा अ्रतिभीतिक सत्ताशों के लोप से कथा की मनोरञ्लननता का सारा भार आकस्मिक घठमाओं और संयोगों के कौशलपूर्ण प्रयोग पर ही आा पड़ा | ठीक इसी बीच भारतबष में भनोविजशञान के श्रध्ययन की ओर विद्वानों की अमिरुचि बढ़ने लगी। लोगों को यह जान कर बड़ा आश्चर्य हुआ। कि देखने और सुनने जैसे साधारण कार्यों में भी आँखों ओर कानों की श्रपेज्ञा मस्तिष्क का दी अधिक महत्वपूर्ण काय होता है। इस प्रकार हमें मानव मस्तिष्क की व्यापक महत्ता का बोध हुआ और यह अनुभव होने लगा कि आकस्मिक बटनाश्रों तथा संयोग की अपेक्षा जीवन में मनुष्य के मस्तिष्क और मन का कहीं अधिक प्रभाव और र्‌




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