जहाँ चाह , वहाँ राह | JAHAN CHAH WAHAN RAAH -SOVIET CHILDREN'S BOOK

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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रहने लगी। वह दिन-रात रोती रहती। उसके गुलाबी गालों का रंग उड़ गया। एक बार उसने अपने पिता के पैरों में गिरकर पति को मुक्त करने की विनती की। तब बादशाह ने केंजा बातिर को जेल से लाने का हुक्म दिया। तुम कितने मकक्‍्कार निकले,” बादशाह ने कहा, “तुमने क्‍यों मेरा कत्ल करने की सोची ?” इसके जवाब में केंजा बातिर ने बादशाह को तोते की कहानी सुनायी। तोते की कहानी किसी ज़माने में एक बादशाह रहता था। उसका एक तोता था। बादशाह अपने तोते को इतना प्यार करता था कि उसके बगैर एक घड़ी भी नहीं रह सकता था। तोता बादशाह के साथ मीठी-मीठी बातें करके उसका मन बहुलांता था। एक बार तोते ने बिनती की: “ मेरे माँ-आाप, भाई-बहन मेरे देश हिन्दुस्तान में हैं। मैं बहुत दिनों से पिंजरे में क़ैद हूँ। आप कृपा करके मुझे बीस दिन की छुट्टी दे दीजिये। मैं अपने देश हो आऊँगा , बारह दिन मुझे जाने-आने में लगेंगे, आठ दिन मैं घर रह लूंगा और अपने माँ-बाप , भाई-बहनों से मिल लूँगा। “ नहीं , ” बादशाह ने जवाब दिया, “अगर मैं तुझे छोड़ दूँ, तो तू वापस नहीं आयेगा और मैं ऊबने लगूँगा।”, तोता विश्वास दिलाने लगा हुजूर , मैं वादा करता हूँ और उसे निभाऊँगा। “अच्छा , ठीक है, अगर तू यही चाहता है, तो मैं तुझे सिर्फ़ दो हफ्ते की छुट्टी दूंगा, बादशाह बोला। खुदा हाफ़िज़, मैं किसी न, किसी तरह दो हफ़्ते बाद वापस लौट आऊँँंगा, ” तोता खुश होकर बोला। वह पिंजरे से निकलकर दीवार पर बैठा, और सब लोगों से विदा लेकर दक्षिण की ओर उड़ चला। बादशाह बड़ा-खड़ा उसे उड़कर दूर जाते देखता रहा। उसे विश्वास नहीं हो रहा था कि तोता लौटकर आयेगा। तोता छः दिन में अपने वतन हिन्दुस्तान पहुँच गया और उसने अपने माँ-बाप को ढूँढ़ लिया। बेचारा बड़ा खुश था, -एक पहाड़ी से दूसरी पहाड़ी पर, एक डाल से दूसरी डाल पर, एक पेड़ से दूसरे पेड़ पर उड़ने-फुदकवे लगा, हरे-भरे जंगलों में अपने रिश्तेदारों, जान- पहचानवालों के यहाँ गया और उसे पता भी न चला कि दो दिन कब बीत गये। वापस पिंजरे में जाकर क़ैद होने का वक्त आ गया। माँ-बाप और भाई-बहनों से बिछुड़ते समय तोते को बड़ा दुःख हुआ। 5 16




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