शब्द मिले अनंत तो क्यों प्रलापमय | SHABD MILE ANANT TO KYON PRALAPMAY
श्रेणी : बाल पुस्तकें / Children
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
37 KB
कुल पष्ठ :
11
श्रेणी :
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पुस्तक समूह - Pustak Samuh
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)अश्कों का बोझ लिए बहार आयी है
शायर के लफ्ज़ लिए कि नई रस्म है वतन में कि सर झुका के चलो बहार आई है
यहाँ कोई नहीं रहेगा सिर्फ वर्दियों के सिवा आर-पार
आदमी को तारों के पार रहना है और मुल्क है कि बँधा है तार-तार
मौत के सौदागरों को मिलते हैं तमगे
कि बहार आएगी तो वे सीना तान कर चलेंगे
बहार आई है दोस्तों, वादियों पर बिछ रही है, हत्यारों के तमगों को छू रही है और चीख रही है
सुनो कितने तमगे हैं कितनी मौतें बहार पूछ रही है
कि कितनी मौतें और होंगी कि तमगों से भर जायेंगे वर्दियों के चप्पे चप्पे बहार पूछ रही है
सुनो बहार की बद दुआ सुनो कि वर्दियां मिट जाएँगी धूल और खून की बदबू में सड़ जायेंगी
रहेगा आदमी फिर फिर मरने को तैयार कि बहार का श्रृंगार करे कि त्यौहार हो हो नाच गान
हो आज़ादी.
एक शहेला
दुनिया जो पहले से बेहतर है आज
वह शहेला के होने से है
उसके जाने के बाद उतनी बेहतर दुनिया रह गई है
और और शहेलाएँ खिलखिलाती उड़ रही हैं नाच रही हैं
किसको किसको खत्म करेगा जादूगर पूछ आओ युधिष्ठिर
मरेंगी और शहेलाएँ चीखें होंगी और प्रसारित
यह हमारी सृष्टि की गतिकी है युधिष्ठिर
मरना तो है ही सबको
सजना है कंकालों से कायनात को
भस्म के अथाह जंजालों से
फिर भी आँसू हैं बहते
ऐसे ही आततायियों की गोलियों से भूनी जाओगी बार बार ओ शहेला
कल इशरत कल सोनी सूरी आज शहेला
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