पांच महान अश्वेत वैज्ञानिक | PANCH MAHAN ASHWET VAIGYANIK

PANCH MAHAN ASHWET VAIGYANIK by अरविन्द गुप्ता - Arvind Guptaलिंडा - LINDA

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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इस तरह अर्नेस्ट ने अपनी पढ़ाई और शोध का काम ज़ारी रखा. उसने इलेनॉइस स्थित यनिवर्सचिटी ऑफ शिकागों में भी अध्धयन किया. 16 जन 1916 में उसे जीवशास्त्र में डॉक्टरेट की उपाधि से सम्मानित किया गया कछ समय बाद डॉ. जस्ट समद्री जीवों की शरूआंती जीवन के “विशेषज्ञ” बन गए. एक बार डॉ. जस्ट ने एक विख्यात वैज्ञानिक डॉ. जक्क़एस लोएब के शोध को चनाँती दी डॉ. लोअंब ने कहा कि वो समद्री जीवों के बिना-फलिकत जअण्डों में कुछ रसायन मिलाकर उनसे नए समद्री जीव पैदा कर सकते थे. पर डॉ. जस्ट ने कहा कि वो सिर्फ समद्री नमकीन पानी मिलाकर नए सम॒द्री जीव पैदा कर सकते थे. डॉ. जस्ट ने बस वही किया. उन्होंने बिना-फलिकत अआण्डों में समद्र का पानी मिलाया. जब उन्होंने माइक्रोस्कोप से देखा तो उन्हें नए समद्री जीव तैरते हए दिखाई दिए! वैसे डॉ. जस्ट ने काफी कामयाबी हासिल की, फिर भी अश्वेत लोगों के प्रति भेदभाव के छआ॥श अमरीका में कभी कोई बड़ा ओहदा , अर्नेस्ट एवेरेट जस्ट को अमरीका के डाक विभाग ने उनके ऊपर टिकट छापकर सम्मानित किया. यह श्रखत्रा लेक हेरिटेज सीरीज” के अंतर्गत छपी. [71105 .. ।1 (151 इसलिए 1930 के बाद से डॉ. जस्ट ज़्यादातर यरोप में ही रहे. वहां उन्होंने कई प्रयोगशालाओं में काम किया और अध्धयन किया. वहां के वैज्ञानिक डॉ. जस्ट की मेहनत की प्रशंसा करते थे और अश्वेत होने के कारण उनके साथ गलत व्यवहार नहीं करते थे 27 अक्टबर 1941 को, डॉ. अर्नेस्ट जस्ट का वाशिंगटन डी.सी. में, कैंसर से देहांत हआ उस समय वो सिर्फ 58 वर्ष के थे. उन्होंने 60 शोधपत्र और दो किताबें लिखीं.




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