टोबा टेक सिंह | TOBA TEK SINGH

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सआदत हसन मंटो - Saadat Hasan Manto

सआदत हसन मंटो - Saadat Hasan Manto

परिचय :-

जन्म : 11 मई 1912, समराला (पंजाब)

भाषा : उर्दू

विधाएँ : कहानी, फिल्म और रेडियो पटकथा, पत्रकारिता, संस्मरण

मुख्य कृतियाँ

कहानी संग्रह : आतिशपारे; मंटो के अफसाने; धुआँ; अफसाने और ड्रामे; लज्जत-ए-संग; सियाह हाशिए; बादशाहत का खात्मा; खाली बोतलें; लाउडस्पीकर; ठंडा गोश्त; सड़क के किनारे; याजिद; पर्दे के पीछे; बगैर उन्वान के; बगैर इजाजत; बुरके; शिकारी औरतें; सरकंडों के पीछे; शैतान; रत्ती, माशा, तोला; काली सलवार; मंटो की बेहतरीन कहानियाँ
संस्मरण : मीना बाजार

निधन : 18 जनवरी 1955, लाहौर (पाकिस्तान)

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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डी रे खामोश टहलता रहता था, में यह तब्दीली प्रकट हुई कि उसने अपने तमाम | कक 6 में घोषणा कर दी कि वह कायदे-आज़म मुहम्मद अली जिन्‍ना है। उसकी | ८1५ जंगले में खून-खराबा हो जाये, मगर दोनों को खतरनाक पागल करार देकर *८ | अलग-अलग बन्द कर दिया गया। ु _/॥ हो गया था। जब उसने सुना कि अमृतसर हिन्दुस्तान में चला गया है तो उसे कट | बहुत दुःख हुआ । उसी शहर की एक हिन्दू लड़की से उसे प्रेम हो गया था। है यद्यपि उसने उस वकील को ठुकरा दिया था, मगर दीवानगी की हालत में ४:0|| देता था, जिन्होंने मिल-मिलाकर हिन्दुस्तान के दो टुकड़े कर दिये । उसकी प्रेमिका ! 8॥ हिन्दुस्तानी बन गयी थी ओर वह पाकिस्तानी । 5 | जहाँ उसकी प्रेमिका रहती हे, मगर वह लाहोर छोड़ना नहीं चाहता था। इस पागलों से बिलकुल अलग-थलग बाग की एक खास रोश पर सारा दिन । कपड़े उतारकर दफेदार के हवाले कर दिये ओर नंग-धड़ंग सारे बाग में चलना शुरू कर दिया। औ। एक मोटे मुसलमान पागल ने, जो मुस्लिम लीग का एक सक्रिय कार्यकर्ता # रह चुका था ओर दिन में पन्द्रह-सोलह बार नहाया करता, एकदम नयी आदत (7 छेड़ दी। उसका नाम मुहम्मद अली था। चुनांचे उसने एक दिन अपने जंगले ! ॥ देखा-देखी एक सिख पागल मास्टर तारासिंह बन गया। करीब था कि उस ॥२. लाहोर का एक नोजवान हिन्दू वकील था, जो मुहब्बत में पड़कर पागल & भी वह उसको भूला नहीं था । चुनांचे वह उन तमाम मुस्लिम लीडरों को गालियाँ जब तबादले की बात शुरू हुई तो वकील को पागलों ने समझाया कि वह दिल छोटा न करे, उसको हिन्दुस्तान भेज दिया जायेगा --- उस हिन्दुस्तान में, ख्याल से कि अमृतसर में उसकी प्रेक्टिस नहीं चलेगी। यूरोपियन वार्ड में दो ॥ के ऐंग्लो-इंडियन पागल थे। उनको जब मालूम हुआ कि हिन्दुस्तान को आज़ाद ॥/#४ करके अंग्रेज़ चले गये हैं तो उनको बड़ा दुःख हुआ। वे छिप-छिपकर घंटों [5 इस समस्या पर बातचीत करते रहते कि पागलखाने में उनकी हेसियत किस तरह की होगी -- यूरोपियन वार्ड रहेगा या जायेगा। ब्रेकफास्ट मिला करेगा




User Reviews

  • Krishna das

    at 2020-06-01 08:37:44
    Rated : 8 out of 10 stars.
    टोबा टेक सिंह एक अच्छी कहानी है। क्या मैं ईस कहानी को ईस पाठ को मुल भाषा में लेकर अन्य भाषा में अनुवाद कर सकती हु?
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