टोबा टेक सिंह | TOBA TEK SINGH
श्रेणी : बाल पुस्तकें / Children
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
568 KB
कुल पष्ठ :
11
श्रेणी :
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लेखकों के बारे में अधिक जानकारी :
पुस्तक समूह - Pustak Samuh
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सआदत हसन मंटो - Saadat Hasan Manto
परिचय :-
जन्म : 11 मई 1912, समराला (पंजाब)
भाषा : उर्दू
विधाएँ : कहानी, फिल्म और रेडियो पटकथा, पत्रकारिता, संस्मरण
मुख्य कृतियाँ
कहानी संग्रह : आतिशपारे; मंटो के अफसाने; धुआँ; अफसाने और ड्रामे; लज्जत-ए-संग; सियाह हाशिए; बादशाहत का खात्मा; खाली बोतलें; लाउडस्पीकर; ठंडा गोश्त; सड़क के किनारे; याजिद; पर्दे के पीछे; बगैर उन्वान के; बगैर इजाजत; बुरके; शिकारी औरतें; सरकंडों के पीछे; शैतान; रत्ती, माशा, तोला; काली सलवार; मंटो की बेहतरीन कहानियाँ
संस्मरण : मीना बाजार
निधन : 18 जनवरी 1955, लाहौर (पाकिस्तान)
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)डी
रे खामोश टहलता रहता था, में यह तब्दीली प्रकट हुई कि उसने अपने तमाम |
कक 6 में घोषणा कर दी कि वह कायदे-आज़म मुहम्मद अली जिन्ना है। उसकी |
८1५ जंगले में खून-खराबा हो जाये, मगर दोनों को खतरनाक पागल करार देकर *८
| अलग-अलग बन्द कर दिया गया। ु
_/॥ हो गया था। जब उसने सुना कि अमृतसर हिन्दुस्तान में चला गया है तो उसे कट
| बहुत दुःख हुआ । उसी शहर की एक हिन्दू लड़की से उसे प्रेम हो गया था।
है यद्यपि उसने उस वकील को ठुकरा दिया था, मगर दीवानगी की हालत में
४:0|| देता था, जिन्होंने मिल-मिलाकर हिन्दुस्तान के दो टुकड़े कर दिये । उसकी प्रेमिका !
8॥ हिन्दुस्तानी बन गयी थी ओर वह पाकिस्तानी । 5
| जहाँ उसकी प्रेमिका रहती हे, मगर वह लाहोर छोड़ना नहीं चाहता था। इस
पागलों से बिलकुल अलग-थलग बाग की एक खास रोश पर सारा दिन ।
कपड़े उतारकर दफेदार के हवाले कर दिये ओर नंग-धड़ंग सारे बाग में चलना
शुरू कर दिया। औ।
एक मोटे मुसलमान पागल ने, जो मुस्लिम लीग का एक सक्रिय कार्यकर्ता #
रह चुका था ओर दिन में पन्द्रह-सोलह बार नहाया करता, एकदम नयी आदत (7
छेड़ दी। उसका नाम मुहम्मद अली था। चुनांचे उसने एक दिन अपने जंगले !
॥ देखा-देखी एक सिख पागल मास्टर तारासिंह बन गया। करीब था कि उस ॥२.
लाहोर का एक नोजवान हिन्दू वकील था, जो मुहब्बत में पड़कर पागल &
भी वह उसको भूला नहीं था । चुनांचे वह उन तमाम मुस्लिम लीडरों को गालियाँ
जब तबादले की बात शुरू हुई तो वकील को पागलों ने समझाया कि वह
दिल छोटा न करे, उसको हिन्दुस्तान भेज दिया जायेगा --- उस हिन्दुस्तान में,
ख्याल से कि अमृतसर में उसकी प्रेक्टिस नहीं चलेगी। यूरोपियन वार्ड में दो ॥ के
ऐंग्लो-इंडियन पागल थे। उनको जब मालूम हुआ कि हिन्दुस्तान को आज़ाद ॥/#४
करके अंग्रेज़ चले गये हैं तो उनको बड़ा दुःख हुआ। वे छिप-छिपकर घंटों [5
इस समस्या पर बातचीत करते रहते कि पागलखाने में उनकी हेसियत किस
तरह की होगी -- यूरोपियन वार्ड रहेगा या जायेगा। ब्रेकफास्ट मिला करेगा
User Reviews
Krishna das
at 2020-06-01 08:37:44