दुनिया सबकी | DUNIYA SABKI

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पुस्तक समूह - Pustak Samuh

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सफदर हाशमी - SAFDAR HASHMI

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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तगड़ी है उसकी ख़ाला पड़ जाये जिससे पाला लगवा दे मुंह पर ताला। उसके दो-दो मामा हें इक पतले, इक गामा हैं. मामा नहीं, डिरामा हैं। मामी भी उसकी दो हें वो तो जैसी हैं, सो हें ठीक-ठाक हैं, सो-सो हैं। जब भी संडे आता हे नानी के घर जाता है कितना उधम मचाता हे। गाना उसको आता है लेकिन नहीं सुनाता है 2 चोरी छुप्पे गाता हे। के नाम है उसका सिंह समर घर से उसके आई ख़बर पांच साल की हुई उमर। ४6906. उसके घर हम जायेंगे पा ओर ये टेप सुनायेंगे बढ़िया खाने खायेंगे। न छः




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