शुक्र और उसके पारगमन | SHUKRA AUR USKE PARGAMAN
श्रेणी : बाल पुस्तकें / Children
लेखक :
एस० आर० शाह - S. R. SHAH,
एस० पी० पंड्या - S. P. PANDYA,
जे० एन० देसाई - J. N. DESAI,
पुस्तक समूह - Pustak Samuh
एस० पी० पंड्या - S. P. PANDYA,
जे० एन० देसाई - J. N. DESAI,
पुस्तक समूह - Pustak Samuh
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
6 MB
कुल पष्ठ :
76
श्रेणी :
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एस० आर० शाह - S. R. SHAH
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एस० पी० पंड्या - S. P. PANDYA
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जे० एन० देसाई - J. N. DESAI
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पुस्तक समूह - Pustak Samuh
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)6 शुक्र औौर उसके पारगमन
पिंडों का निर्माण करते हैं। ये ग्रहाणु परस्पर संघटटों द्वारा आकार में बढ़ते
हुए ग्रहों की उत्पत्ति का कारण बनते हैं। किसी भी ग्रह का संघटन उस
स्थान से सूर्य की दूरी पर आश्रित होता है जहां उसका निर्माण होता है।
अब वाष्पशील पदार्थ तो अति दूरस्थ स्थानों पर ही संघनित हो सकते हैं
जहां का तापमान काफी कम होता है। अत: सौर जगत के ग्रह स्पष्ट रूप से
दो वर्गों में विभाजित किए जा सकते हैं - मंगल ग्रह तक तो छोटे 'शैल'
पिंड हैं जिनकी अधिकतर संहति ठोस सिलिकेट सदृश पदार्थ तथा धात्विक
यौगिकों के कारण होती है जबकि (मंगल के) परवर्ती क्षेत्र में बृहस्पति और
शनि सदृश भीमकाय गैसीय ग्रह तथा यूरेनस और नेष्च्यून सदृूश विशाल
ग्रह हैं जो अधिकांश रूप से जमे हुए वाष्पशील पदार्थों द्वारा ही निर्मित हैं
(प्लूटो, जो अपेक्षाकृत एक लघु बर्फीला पिंड है, अपने आप में ही एक वर्ग
है। खगोलविद् धूमकेतु की तरह ही इसे परा-नैप्च्यूनीय पिंड मानते हैं)।
सूर्य से पृथ्वी और शुक्र दोनों एक ही सी दूरी के परास में स्थित होने के
कारण उनके संघटनों की समानता अपेक्षित ही है। उनकी परस्पर तुलना
से यह तथ्य स्पष्ट हो जाता है। ऊपर से इन दोनों ग्रहों के आकार भी
आपस में बहुत मेल खाते हैं। पृथ्वी का औसत व्यास 12,756 किलोमीटर
जबकि शुक्र का 12,100 किलोमीटर है। शुक्र की संहति पृथ्वी की
संहति की तुलना में 19 प्रतिशत मात्र ही कम है तथा उसका औसत
घनत्व पृथ्वी के औसत घनत्व 5.52 ग्राम प्रति घन सेंटीमीटर की तुलना
में 5.25 ग्राम प्रति घन सेंटीमीटर है। पृथ्वी का बाहरी भूपटलीय पदार्थ
सिलिकेट निर्मित होने के कारण कम घनत्व वाला है, जिसका मान 3.09
ग्राम प्रति घन सेंटीमीटर है। वेनेरा लैंडर अंतरिक्षयान ने भी शुक्र के पृष्ठीय
पदार्थ के सिलिकेट निर्मित होने की ही जानकारी दी है। फिर क्या कारण
है कि दोनों ही ग्रहों के औसत घनत्व उनके पृष्ठीय पदार्थ घनत्वों की
तुलना में इतने अधिक हैं? इसकी वजह है दोनों का “विभेदित''
(डिफरेंशिएटिड) होना। अपने निर्माण के आरंभिक दौर में दोनों ही ग्रह
गलित या अर्द्धशलित अवस्थाओं से होकर गुजरे हैं तथा एक समय
आयरन और कोबाल्ट सदृश भारी पदार्थों के उनके केन्द्र की ओर अभिगमन
करने से ही उच्च घनत्व काले क्रोड (कोर) पदार्थ तथा कम घनत्व वाले
पृष्ठीय पदार्थ की सृष्टि हुई |
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