कटरा बी आर्जू | KATRA BI ARZOO

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राही मासूम रज़ा -RAHI MASOOM RAZAA

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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बाबु राम चुप हो गये। पर उनके! दिल में डर का अंधेरा कुछ घता हो गया । आशझाराम अपने रास्ते पर चलता रहा। मोटर मिवेतिक्स यूनियन ने पहली हटताल बाबू गौरीशकरलाल पाण्डेय एम० पी० के नेदनल गैरेज मे बी। महँगाई भत्ता, मजदूरियों म बढ़ती और बोनस पे' सवाल पर यह हडताल शुरू हुई। मेशनल गैरेज़” वी दीवारो पर लाल भण्डे लहराने लगे और झ्ाशाराम मे गरज वे कृम्पाउण्द मं पहली पब्लिक तक्रीर की। उसके सामने तीस पतीस आदमी थे। दम्सू मिया श्रध्यक्षता के फराएज अजाम दे रहे थे ओर झाता- राम को मालूम था कि द्म्सू मियाँ अदर से क्तिने सहमे हुए है। उसके सामने भी जो लोग थे उनमे कई श्रासा म डर था। कई निडर भी थी। निडर आ्राखो में एक जोडी देशराज वी आखो वी भी थी । आश्याराम जानता था कि सामने बैठे हुए लोग यह सोच रहे है वि वह उनके दुखा, उनवी भूख, उनकी जरूरता वो खत्म करन का कोई टोटका बता- येगा और श्राप भपकते दुनिया बदल जायेगी और बाबू साहब भुस्कुराते हुए आयेंगे और मज़दूरिया बढ जायेंगी, महँगाई भत्ता वढ जायेगा और बोतस मिल जायेगा। शम्सू मिया तो अपने डर वे बतवजूद बोनस का बजठ भी बना चुके थे | उनके चश्मे का नम्बर बदल गया है। वह सोच रहे थे कि' अभी बोनस मिल जाये तो घर जाते-जाते किसी चश्मेवाले की दूदान पर पल भर रुककर वह एक नया चश्मा खरीद लेंगे। देशराज सोच रहा था कि हाउस-फण्ड में चार सौ अस्मी वी कमी रह गयी है। तड़ से जमीन लेकर घर का काम शुरू कर दूगा। श्लौर फिर तो विललो से झादी ररने के लिए तेयार होना ही पडेगा मुरली अपने लिए द्वाजिम्दर खरीदने का प्रोग्राम बना रहा था गरज कि जित्तन आदमी थे उतनी आ्रार्जुएँ थी और झआशाराम अकेला था। यह उसकी पहली राजनीतिक तकरीर थी और जो लोग हडताल करनेवाले थे उनकी पहली राज- नीतिक' लडाई थी । किसी को ठीक से इस लडाई के कामदे-वानूत मालूम नही थे। आशाराम घबरा गया। घयराया तो उसकी तक'रीर सरल से भुश्किल हो गयी। फिर इतनी मुश्किल हो गयी कि खुद उसवे' लिए अपनी तक रीर सम मना दृश्वार हो गया । और तय देशराज उठा और उसने कहा कटरा बी झाजू | १७




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