फैज़ अहमद फैज़ की कविताएँ -भाग 3 | POEMS OF FAIZ AHMED FAIZ- PART 3

POEMS OF FAIZ AHMED  FAIZ- PART 3 by अरविन्द गुप्ता - Arvind Guptaफैज़ अहमद फैज़ - FAIZ AHMED FAIZ

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फैज़ अहमद फैज़ - FAIZ AHMED FAIZ

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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अलीम भी हैं ख़बीर भी हैं सुनो कि हम बेज़बान-ओ-बेकस बशीर भी हैं नज़ीर भी हैं हर इक उलुल अम्र को सदा दो कि अपनी फ़र्दे-अमल सँभाले उठेगा जब जम्मे सर फ़रोशाँ पड़ेंगे दार-ओ-रसन के लाले, कोई न होगा कि जो बचा ले जज़ा सज़ा सब यहीं पे होगी, यहीं अज़ाब-ओ-सवाब होगा यहीं से उटड्जेगा शोरे-महशर, यहीं पे रोज़े-हिसाब होगा फ़िलिस्तीनी बच्चे के लिए लोरी मत रो बच्चे रो-रो के अभी तेरी अम्मी की आँख लगी है मत रो बच्चे कुछ ही पहले तेरे अब्बा ने अपने गम से रुख़सत ली है मत रो बच्चे तेरा भाई अपने ख़्वाब की तितली के पीछे दूर कहीं परदेस गया है मत रो बच्चे तेरी बाजी का डोला पराए देस गया है मत रो बच्चे तेरे आँगन में मुर्दा सूरज नहला के गए हैं चंद्रमा दफ़्ना के गए हैं मत रो बच्चे अम्मी, अब्बा, बाजी, भाई




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