सुन्दरी और दानव | SUNDARI AUR DANAV

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पुस्तक समूह - Pustak Samuh

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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रही थीं। सुंदरी के बारे में दुखद समाचार सुनकर सुंदरी ने पूरी सुबह अपने कमरे में बिताई। उन्हें धक्का लगा हो, ऐसा नहीं था। दोनों बहनें उसने किताबें पढ़ीं और वाद्य-यंत्र बजाया। दोपहर समाचार सुनकर खुश थीं और चुपके-चुपके हँस वह बाग में गई। उसे बाग में दानव से दुबारा रही थीं। अगले ही क्षण यह दृश्य ग़ायब हो गया मिलने का डर था। परंतु वहाँ दानव का कोई ओर सुंदरी को आईने में अपना चेहरा दिखाई देने निशान नहीं था। उसे बाग़ में एक टोकरी दिखी लगा। जिसमें दस्ताने और पौधों की छॉटाई करने वाली यह कोई जादू ही होगा, उसने हल्के से काँपते एक कैंची रखी थी। सुंदरी ने दस्ताने पहन कर हुए सोचा। महल की हरेक चीज़ अजीबो-गरीब गुलाब के पौधों की छँटाई को। थी, जेसे वहाँ किसी ने कोई जादुई मंत्र फँक दिया हो। दिन भर ऐसी बातें होतीं जिन्हें समझ पाना असंभव था। परंतु, वह अब अपने पिता की सुरक्षा के बारे में आश्वस्त थी। उसे यह भी लग रहा था कि दानव उसकी ज़िंदगी को खुशहाल और सुखी बनाना चाहता था। गया आकू - छ ट-क का तु १५७३ न ही 1 है 9) 5: उब । । न छ्े (1 कर




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