जिंदगी का हिसाब | MATHS FROM DAILY LIFE

MATHS FROM DAILY LIFE by अनीता रामपाल -ANEETA RAMPALअरविन्द गुप्ता - Arvind Guptaआर० रामानुजम -R. RAMANUJAMसरस्वती -SARASWATI

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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« उउररां के जीवन में काम आने वाले आँकड़ों की व्याख्या करने की --_ ठरशीके के अनुसार बनाए गए साक्षरता प्राइमरों का ढाँचा आमतौर पर इस प्रकार होता है - प्राइमर में 1-10, 11-20. 21-30, आदि से लेकर 50 तक की का परिचय कराया जाता है। इसे प्राइमर में 1 से 100 तक की संख्याओं को रखा गया है और उसमें तथा घटाने के अभ्यास भी रखे गए हैं। घड़ी के समय का परिचय कराया जाता है। प्राइमर में गुणा और भाग, मापन और दशमलव का बुनियादी ज्ञान, पैसों का लेन-देन, आदि को शामिल किया गया है। अधिकांश जिलों जे प्राइमरों में यही व्यवस्था मिलती है, लेकिन इसके अलावा कुछ ने प्रतिशत, ब्याज, आदि को भी शामिल किया है। प्राइमर के ढाँचे की वजह से समस्याएँ ड्रमें संदेह नहीं है कि प्राइमर में गणित की जो रूपरेखा ऊपर दी गई है उसने कई खामियाँ हैं। यह स्पष्ट है कि प्रौढ़ों के साथ बच्चों जैसा बर्ताव ->ुयय जाता है और उन्हें घीमी चाल से पढ़ाया जाता है। अक्सर यह पाया जाठा है कि स्कूल में प्रचलित बैंधे-बैंधाए और सीधे-सीधे क्रम में संख्याओं ज सिखाने के तरीके यहाँ उपयुक्त नहीं हैं। ॥?०। कमेटी ने गणित शिक्षण न्तराशाजनक स्थिति पर सोच-विचार किया है और हर बार इसके <ाज्यक्रम को सरल बनाने की कोशिश में उसे कुछ ज्यादा ही हल्का कर है। प्रौढ़ बहुत कुछ सीखना चाहते हैं और जल्दी सीख भी लेते हैं यदि पडाने के सही तरीके अपनाएँ। कम समय में एक अभियान के तहत गणित को कैसे सिखाया जाए, इस बात पर ध्यान नहीं दिया गया है। उदाहरण के लिए, एक शहरी जिले की टीम ने अपने शिक्षार्थियों के लिए कुछ -कारी विषयों को शामिल किया था। जैसे - कलैंडर, जन्म प्रमाण पत्र डदाइयों के पैकेटों पर तारीखें, आदि। लेकिन एक ॥?01 “विशेषज्ञ” ने इसे से काट दिया और साथ ही इस बात की भी हठ की कि प्राइमर 2 संख्याओं को 51-60. 61-70 के क्रम में हर अध्याय में सिखाते जाएँ। डूनेयादी मुद्दा यह था कि शिक्षार्थी - विशेष रूप से शहरी पृष्ठभूमि के - -उपयोगी” कौशलों और जानकारी को जल्दी हासिल करने के जिंदगी का हिसाब ! 15




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