श्रेस्ता वीदेसी उपन्यास | SHRESTH VIDESHI UPANYAS
श्रेणी : बाल पुस्तकें / Children
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
10 MB
कुल पष्ठ :
244
श्रेणी :
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लेखकों के बारे में अधिक जानकारी :
इलाचन्द्र जोशी - Elachandra Joshi
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पुस्तक समूह - Pustak Samuh
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)अभागे [ १९
में जां वालजां ने प्रजातन््त्रवादी जनता का साथ दिया और युद्ध में
भाग लिया।| इसी सिलसिले में उसने अपने चिरशत्रु, ज्ञालिम
पुलिस अफसर जावर के प्राणों की रक्षा की । इस घटना से जावर
का मनोभाव उसके प्रति बदल गया, ओर वह जां चालज्ञां को
श्रद्धा की दृष्टि से देखने लगा |
सब प्रकार के भीषण खतरों से कोज्ञेत को सुरक्षित रखने
में सफल होने पर भी एक खतरे से वह उसकी रक्षा करने में
स्वभावतः निपट असमर्थ रहा। वह खतरा था मानव-हृदय की
सहज मनोवृत्ति-प्रेम । वह जानता था कि किसी भी सुन्दरी
ओर सहदय तरुणी को आत्मा प्रेस की काव्य-कलनासयी आकांक्षा
से खाली नही रह सकती ; पर साथ ही यह बात भी निश्चित
थी कि उस प्रेम की सार्थकता के परिणामस्वरूप कोज़ेत को उससे
सदा के लिये अत्लग होना पड़ेगा।
सारियस नाम का एक युवक एक बेरन का लड़का था। उसका
पिता मर चुका था, पर उसका दादा जीवित था। बुड़ढा अपने
एकमात्र पोते को बहुत चाहता था ; पर चूंकि वह राजवादी था
और मारियस ग्रजातन्त्रवादी, इसलिये दादा और पोते मे अनवन
हो गई थी । मारियस ने एक दिन कोज़ेत को एक पाक में देखा
था । तबसे प्रतिदिन उसी पाक में दोनो एक-दूसरे से मिलने लगे“:
थे ओर दोनो में आपस में घनिष्ठ प्रेम हो गया था। क्रान्ति
के युद्ध मे सारियस घायल होकर वेहोश हो गया था। जां वालजां
उसे चुपचाप अपने कन्धे मे रखकर विपज्षियों की दृष्टि से उसे
बचाने के उद्देश्य से जमीन के भीतर एक चहुत गहरे और मीलो
लम्बे नाले के भूलभुलैया चक्कर से होकर उसे ले गया और अन््तच
में उसके बूढ़े दादा के पास उसे पहुँचा दिया। सेवा-सुश्रषा करने
से जब वह चंगा हो गया, तो बुड़्ढहा सब वैमनस्थ भूलकर अपने
पोते के प्रति अत्यन्त सदय हो उठा । कोज्ञेत के समान एक अत्यन्त
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