अद्भुत दुनिया पक्षियों की | ADBHUT DUNIYA PAKSHIYON KI

ADBHUT DUNIYA PAKSHIYON KI by अरविन्द गुप्ता - Arvind Guptaराजेंद्र कुमार - Rajendra Kumar

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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बेगार लेती है लड़ाई मे वह कौवो से नहीं जीत पाती। इसलिए कोवों को धोखा देकर उनके घोंसलों में अपने अंडे रख आती है। कोयल का अंडा रंग-रूप और वजन में कौवे के अंडे-जैसा नहीं होता। फिर भी कौवा अपने और कोयल के अंडों का अन्तर नहीं पहचान पाता और उन्हें अपने अंडे समझकर सेता रहता है। कोयल कौवे के घोंसले में जितने अंडे रखती है, कौवे के उतने ही अंडे नष्ट कर देती है। दृष्टता का अन्त गर्मी का मौसम और फिर जेठ मास की तपती हुई दोपहरी का समय। अत्यन्त गर्म लू चल रही थीं। जंगल का रास्ता था। थका-मांदा एक मुसाफिर अपने सिर पर सामान और कपड़ों की पोटली रखे, शहर से अपने गांव की तरफ जा रहा था। उसने देखा कि आगे एक बड़ा घना आम का पेड़ है। थोड़ा आगे और बढ़ा तो उसे वहीं पास में एक क॒आं भी दिखायी पड़ा। यह देखकर उसे बड़ी खुशी हुई, क्‍योंकि प्यास के कारण उसका गला सूख रहा था। कुएं के पास पहुंचकर उसने सिर से अपनी पोटली अद्भूत दुनिया पक्षियों को »/ 12




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