आसन मौत | A VERY EASY DEATH

A VERY EASY DEATH by अरविन्द गुप्ता - Arvind Guptaसिमोन द बोउवार -SIMONE DE BEAUVOIR

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सिमोन द बोउवार -SIMONE DE BEAUVOIR

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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8/2/2016 मामन की आवाज सनने के लिए बहत धैर्य और एकाग्रचित्तता की जरूरत थी, वह बमश्किल बोल पा रही थी. शब्द अनसने ही हवा में विलीन हो जाते थे। उसकी स्मतियाँ, इच्छाएँ समय और काल से परे थीं। मौत का नैकट्य और बच्चों-सी आवाज में इच्छाओं की अभिव्यक्ति उसे किसी अन्य लोक का प्राणी बना रहे थे। लेटे-लेटे ही नली के द्वारा कुछ बूँदें उसके गले में डाली जातीं, वह कागज के नैपकिन में थूकती जो नर्स उसके मुँह के पास ला कर लगा देती। मादामोसाइले लौरेन्ट उसको सीधा लिटा देती, क्योंकि बीच-बीच में खाँसते-खाँसते मामन दोहरी हो जाती। आज मामन के चेहरे पर चार दिनों के बाद हँसी देखी। पपेट नर्सिंग होम में मामन के साथ रात में रुकना चाहती थी - दादी और पापा के अंतिम समय में तुम उनके पास थीं, मैं तो बहुत दूर थी, अब मामन के अंतिम वक्‍त में उसके पास सिर्फ मैं रहूँगी और उसकी देखभाल करूँगी। मैं राजी थी, लेकिन मामन ने हतप्रभ हो कर पूछा - तुम यहाँ किसलिए सोओगी? 'जब लॉयनल का ऑपरेशन हुआ था, तो मैं ही उसके कमरे में सोई थी, इसमें चौंकने की क्या बात है? 'अच्छा, ऐसा है।' घर पहुँचते-पहुँचते मुझे कँपकँपी के साथ बुखार आ गया। क्लीनिक के भीतर बहुत गर्मी थी और उसके मुकाबले बाहर नमी भरी ठंड थी, नतीजतन मुझे फ्लू हो गया। मैं दवा ले कर बिस्तर पर लेट गई, फोन बंद नहीं किया : मामन किसी भी क्षण मर सकती थी, डॉक्टरों का कहना था - मोमबत्ती की डूबती हुई लो है अब मामन की जिंदगी। भोर में चार बजे घंटी बजी - 'तो मामन चली गई।'- फोन उठाया, स्वर अपरिचित था, कोई राँग नम्बर था। फिर सूर्योदय तक नींद नहीं आई। लगभग साढ़े आठ बजे टेलीफोन बजने पर मैं दौड़ी। किसी और ने यूँ ही फोन किया था। जब से मामन का ऑपरेशन हुआ था - हर क्षण कानों में यही गूँजा करता था - 'यह अंत है! यह मामन का अंत है।' मामन को लगता था वह ठीक हो जाएगी। उसने डॉक्टरों की आपसी बातचीत सुनी थी। एक ने कहा था - 'यह आश्चर्य की बात है।'- मामन को बहुत कमजोरी थी। और खुद भी वह थोड़ी-सी भी मेहनत नहीं करना चाहती थी, वह चाहती थी कि ताजिंदगी नली से तरल पदार्थ उसके पेट में उतरता रहे। 'मैं अब कभी नहीं खाऊँगी।' लेकिन तुम्हें तो खाना बहुत पसंद था। मादामोसाइले लेबलोन कंघी ले कर मामन के बाल सुलझाने बैठी, मामन ने इृढ़ता से आदेश दिया - 'इन्हें काट कर फेंक दो।' शायद वह बालों को काट कर फेंकने से अपने आराम को जोड़ कर देख रही थी। अब आराम उसके लिए सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण था, उसके आगे केश-सज्जा का क्या काम था। नर्स ने चुपचाप बाल सुलझा कर चोटी बाँध दी और सिर पर चाँदी के रंग का रिबन बाँध दिया। मामन का निश्चिन्त चेहरा एक अप्रतिम पवित्रता से दमकने लगा। मुझे लगा यह लियोनार्डों की बनाई हुई खूबसूरत वृद्ध स्त्री की पेंटिंग है। 16/48




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