बच्चो सुनो कहानी | BACHCHON SUNO KAHANI

BACHCHON SUNO KAHANI by अरविन्द गुप्ता - Arvind Guptaलेव टॉलस्टॉय - LEV TOLSTOY

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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30) भेड़िया और कुत्ता एक दुबला-पतला भेड़िया गांव के क़रीब घूम रहा था कि उसकी एक मोटे-ताजे कुत्ते से भेंट हो गयी। भेड़िये ने कुत्ते से पूछा : “कत्ते, यह बताओ कि तुम सबको खाने को कहां से मिलता है? ' कुत्ते ने जवाब दिया: “ लोग देते हैं।' “हां, तम लोगों के लिये अपनी बड़ी जात ख़पाते हो। कुत्ता बोला : “ नहीं, हमारा काम कुछ मुश्किल नहीं है। हमारा काम तो रातों को घर-अहाते की रखवाली करना ही है। “सिर्फ़ इसी काम के लिये तुम्हें इतना खिलाया-पिलाया जाता है, भेड़िये ने कहा। 'तब तो मैं भी इसी वक्‍त इस काम के लिये तुम्हारे मालिक. के पास जाने को तैयार हूं, वरना हम भेड़ियों को बड़ी मुश्किल से खाने को मिलता है। “तो जाओ,” कुत्ते ने जबाब दिया, “मालिक तुम्हें भी खाने को देने लगेगा। भेड़िया बड़ा खुश हुआ और कुत्ते के साथ लोगों की सेवा करने चल दिया। भेडिया फाटक में दाखिल ही हो रहा था कि उसे कुत्ते की गर्दन के बाल ग्रायब दिखाई दिये। उसने पूछा कुत्ते , तुम्हारी गर्दन के बाल कैसे ग्रायव हो गये? यह तो ऐसे ही, कुत्ते ने जवाब दिया। “ऐसे ही का क्या मतलब? “जुजीर के कारण। बात यह हैं कि दिन के वक्‍त मैं जंजीर से बंधा रहता हूं। इस ज्ंजीर ने ही मेरी गर्दन के कुछ बाल उड़ा दिये हैं। “तब तो मैं तुमसे विदा लेता हूं, कुत्ते, भेड़िये ते कहा। “मैं लोगों के लिये काम करने नहीं जाऊंगा। बेशक तुम्हारी तरह मोटा नहीं हो सकूंगा, लेकिन आज़ाद तो रहूंगा। 31.




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