खोल दो ठंडा गोस्त | KHOL DO THANDA GOSHT
श्रेणी : बाल पुस्तकें / Children
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
534 KB
कुल पष्ठ :
21
श्रेणी :
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लेखकों के बारे में अधिक जानकारी :
पुस्तक समूह - Pustak Samuh
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सआदत हसन मंटो - Saadat Hasan Manto
परिचय :-
जन्म : 11 मई 1912, समराला (पंजाब)
भाषा : उर्दू
विधाएँ : कहानी, फिल्म और रेडियो पटकथा, पत्रकारिता, संस्मरण
मुख्य कृतियाँ
कहानी संग्रह : आतिशपारे; मंटो के अफसाने; धुआँ; अफसाने और ड्रामे; लज्जत-ए-संग; सियाह हाशिए; बादशाहत का खात्मा; खाली बोतलें; लाउडस्पीकर; ठंडा गोश्त; सड़क के किनारे; याजिद; पर्दे के पीछे; बगैर उन्वान के; बगैर इजाजत; बुरके; शिकारी औरतें; सरकंडों के पीछे; शैतान; रत्ती, माशा, तोला; काली सलवार; मंटो की बेहतरीन कहानियाँ
संस्मरण : मीना बाजार
निधन : 18 जनवरी 1955, लाहौर (पाकिस्तान)
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)भाग जाओ ! मुझे रहने दो। हमारी बच्ची को बचा
लो।” सकीना की कलाई कस के पकड़, सिराज
भागा । नंगे पांव, पागलों की तरह दोनों भागते गए।
फिर सकीना का दुपट्टा गिर पड़ा। दुपट्टा उठाने
सिराज पल भर को रुका था। भागती भीड़ के पांवों
से बचाकर दुपठुटा उठाया था.....अरे | दुपट्टा तो
आज भी उसकी जेब में है। पर सकीना कहां गई ?
सिराज़ ने अपने थके दिमाग़ पर बहुत जोर दिया।
सकीना कब बिछड़ीं? वह रेलवे स्टेशन तक आई या
नहीं ? गाड़ी में बैठी या नहीं? दंगा करने वाले उसे
उठा तो नहीं ले गए? सिराज को कुछ याद नहीं
आ रहा था। कई दिन, बेटी का दुपट्टा जेब
में लिए, सिराज इसी तरह भटकता रहा।
फिर एक दिन कुछ आशा बंधी। सिराज
को आठ नौजवान लड़के मिले।
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