मै विरोध करती हूँ | MAIN VIRODH KARTI HOON!

MAIN VIRODH KARTI HOON! by अरविन्द गुप्ता - Arvind Guptaदेब्बी -DEBIE

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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इसमें मानने, न-मानने, की कोई बात ही नहीं थी. रुथ, स्नातक समारोह में नहीं जा पाई. वो अपना भाषण भी नहीं दे पाई. रुथ को अच्छी तरह पता था, कि माँ की उससे क्‍या अपेक्षाएं थीं. तीन महीने बाद रुथ घर छोड़कर गई और उसने कॉलेज में दाखिला लिया.




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