लहरें और कगार | LEHREN AUR KAGAR
श्रेणी : बाल पुस्तकें / Children
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
4 MB
कुल पष्ठ :
98
श्रेणी :
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पुस्तक समूह - Pustak Samuh
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बच्चन सिंह -BCHCHN SINGH
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)4 लहरें ओर कमार
कर लें ओर हम टस से मस॒ न हों। वे दस बार काम पर बुलाने पर
न आये ओर हम चुपचाप उनकी खुशामद करते रहें। तुम्हारी यही
इच्छा दे न ! बाप-दादों की सारी प्रतिष्ठि, उनकी समस्त मर्यादा हम
परिस्थितियों के एक धक्के से चकनाचूर हो जाने दें। हमारी नसों में
महाराणा साँगा ओर राशाप्रताप का जो रक्त दोड़ रहा है उसे शान्त
हो जाने दे | मुझ से यह नहीं होगा ।?«महिपाल की अ्राखें कुछ
अरुण ओर भौंडें ठेढी हो गई ।
जार अक्षर अंग्रेजी पढ़कर लड़कों का दिमाग बिगड़ जाता है।
इनको वाप-दादों की मर्यादा का ख्याल कुछ भी नहीं रह गया है।
जाति-कुजाति सबके यहाँ भोजन करना, छोटी जातियों को बराबरी का
दर्जा देना पढने-पढ़ाने में उनकी मदद करना इनका रोजमर्रा का काम
हो गया हे। सरकार तो इनकी सहायता करती ही है। ये स्कूल-कालेज
के लड़के भी उन्हीं का पक्ष लेते हैं। में तो समझता था कि महेन्द्र बाबू
पढ-लिख कर सरकार का नाम उज्ज्वल करेंगे श्रोर ठाकुर साहब के
फाम में हाथ बटावेंगें, पर 'उपजेउ बंश श्रनल कुल घालक” की चोपाई
इन पर श्रच्छी तरद् लागू होती है।? -चोबे जी श्रपनी पगड़ी ठीक
करते हुए यह सब्र कह गए. ।
“इसे तो रावण ने श्रंगद के लिए कहा था | अ्रंगद का पक्ष ठीक
था और रावण का नहीं महेन्द्र ने संक्षेप में ही चौोबे जी को
उत्तर दिया ।
चौबे जी एकदम बिगड़ खड़े हुए. | वे बोके--हाँ भेया में रावण,
कुम्मकरण, विभीषण सब कुछ हूँ | राम, लक्ष्मण, भरत, शनुष्न श्राप
ही लोग बने रहें | आप ऐसे रास न होते तो शुकदेव की दिम्मत होती
कि ठाकुर साहब के विरुद्ध मुकदमा लड़ता |! द
“उसके साथियों की क्या कमी हो सकती है ? यार-दोस्तों की वहाँ
पर जो बैठके होती हैं वे सब मुझे माल्म हैं। शुकदेव तो गया बीता
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