इतिहास की समझ | ITIHAS KI SAMAJH

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पवन कुमार गुप्ता -PAWAN KUMAR GUPTA

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पुस्तक समूह - Pustak Samuh

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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इतिहास की समझ : शिक्षक मार्गदर्शिका कुछ-न-कुछ आदान-प्रदान कर ही रहे होते हैं। इस प्रक्रिया के दौरान भी उनमें हर क्षण बदलाव होता रहता है। यह बदलाव जड़ वस्तुओं में भी होता है। पानी से, हवा से, सूरज की गर्मी से - पत्थर, चट्टान, पहाड़, इत्यादि में भी हर क्षण सूक्ष्म बदलाव होते ही रहते हैं। तभी तो नदी में पड़े पत्थर पहाड़ों से मैदानों तक की लम्बी यात्रा तय करते हुए पानी से घर्षण के कारण धीरे- धीरे चिकने हो जाते हैं। हजारों, लाखों वर्ष पहले जहाँ समुद्र था, वहाँ आज ऊँचे पर्वत दिखाई पड़ते हैं। इन बातों का पता पहाड़ों के पत्थर, मिट॒टी, चट॒टानों का अध्ययन करके लगाया जाता है। इसी प्रकार हमारे घर, सकल के मकान, साजो-सामान, किताब, पेन्सिल, कर्सी, टेबल में भी बदलाव होते रहते हैं। इस बात को समझाने के लिए अध्यापक बच्चों का ध्यान इस ओर आकर्षित कर सकते हैं कि अगर बदलाव नहीं होता तो हमें इन जड़ वस्तुओं की मरम्मत या देख-भाल करने की जरूरत नहीं पड़ती | इस प्रकार शिक्षक तरह-तरह से बच्चों का ध्यानाकर्षण इस बात पर करा सकते हैं कि हर वस्तु में, हर अवस्था (चारों - पदार्थ यानी हवा, मिट्टी, धातु, पानी, इत्यादि; प्राणावस्था यानी पेड़-पौधे; जीवावस्था यानी पशु-पक्षी और ज्ञानावस्था यानी मनुष्य) में हर क्षण बदलाव होता ही रहता है - चाहे वह बदलाव कितना ही सूक्ष्म क्यों न हो। हर वस्तु में, हर अवस्था हर क्षण बदलाव होता ही रहता है - चाहे वह बदलाव कितना ही सूक्ष्म क्यों न हो।




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