कुमायूं की उपयोगी औषधीय वनस्पतियाँ | MEDICINAL PLANTS AND TREES OF KUMAON

MEDICINAL PLANTS AND TREES OF KUMAON by अरविन्द गुप्ता - Arvind Guptaउत्तराखंड सेवा निधि -UTTARAKHAND SEVA NIDHI

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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22. 23. 24. 23. 20. 27. तन (सेंड्रेला तून) : इसके वक्ष काफी ऊंचे होते हैं। इसकी पत्तियां कड़वी, पौष्टिक, शीतल, रुधिरविकार एवम्‌ दाह को द्र करती है। इसकी छाल ज्वर दूर करती है, बच्चों के अतिसार में लाभदायक व पौष्टिक होती है। किलमोड़ा (बरबेरिस एरिस्टेटा) : किलमोड़ा के वक्ष कांटेदार व झाड़ी न॒मा होते हैं। पिछले कछ वर्षों से कमाय॑ं में किलमोड़ा का अत्यधिक दोहन किया गया जिससे यह समाप्त प्राय हो गयी है। किलमोड़ा की जड़ों में बरबेरिन एल्कोलाइड पाया जाता है। किल्मोड़ा ब्रण, प्रमेह, कन्ड, विसर्प, त्वचा दोष विष विकार, कर्ण एवम्‌ नेत्र रोग, गर्भाशय एवम ज्वर . रोगों हेतु उपयोगी है। किलमोड़ा के फलों में मेलिक, टाइट्रिक तथा साइट्रिक अम्ल पाए जाते हैं। दालचीनी (सिनेमोमम जायलेकिनम) दालचीनी, कड़वी तीक्ष्ण एवम्‌ सुगंधित होती है। यह कामोद्दीतक, कृमिनाशक, पौष्टिक एवम्‌ बात पित्त अतिसार व गदा द्वार की व्याधियों में लाभदायक है। दालचीनी में एक उड़नशील तैल पाया जाता है जिसमें पीनीन, यगेनाल, लिनीन फिलान्डीन तथा सिनेमिक एल्डीहाइड व लिनेलोल रासायनिक यौगिक पाए जाते हैं। दूब (सिनोडोन डेक्टीलोन) दब की जड़ वेदनानाशक एवम्‌ मत्रल मानी जाती है। इसकी तीन जातियां हैं। नीली या हरी दब, सफेद दब व गाडर दब। तीनों के भिन्‍न-भिन्‍न औषधीय उपयोग हैं। नीली या हरी दब त्वचा विकार में, सफेद दब रक्त पित्त व खांसी को दर करने में तथा गाडर दब कष्ट व ज्वर को दर करने में प्रयोग की जाती है। देवदारु (सिड्रेस दिओदारा) : कमाय में देवदारु वृक्ष अनियंत्रित कटान कें शिकार बने हैं। ईंधन एवम्‌ इमारती उपयोग के साथ ही देवदारु का औषध उपयोग महत्वपूर्ण है। इसकी जड़े सुगंधित होती हैं। इनमें केलोन नामक तेल पाया जाता है जिसकी गंध तारपीन के तेल के समान होती है। इसकी नुकीली पत्तियों में विटामिन-सी पाया गया है। ताजी पत्तियों में .056 प्रतिशत ईथीरियल तेल भी पाया गया। देवदारु मूत्रल, वायुनाशक, चर्मरोग नाशक, पेट दर्द निवारक, बवासीर अल्सर तथा सर्पदंश की चिकित्सा में भी उपयोगी है। धत्रा (दत्रा स्ट्रेमोनिषपम) धत्रे के बीज एवम्‌ पत्तियां जीवाणुनाशक एवम्‌ निश्चेतक होती हैं। इसके फलों में काले रंग के बीज होते हैं जो नशा उत्पनन तथा डेन्ड्रफ में उपयोगी है। जले स्थानों ब कटे धावों में धत्रे की 12




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