प्लूटो -वर्ष 2 , अंक 3 | PLUTO - VOL 2, ISSUE 3

PLUTO - VOL 2, ISSUE 3 by अरविन्द गुप्ता - Arvind Guptaतक्षिला सोसाइटी -TAKSHILA SOCIETY

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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जनों सजमस न बत 1 ॥ िला---...कन--जामाकाा ३. क का | कं >-अ्हः जज 3७३०७... ७ चिकन मम की हि] ॥. किन्‍म। मा ०5 0 बे बल * | धन > 2 अकता ब जः ५.3 विक्का न््य बा ३ जट तक य र- ह * ह के है 8 यह... ः थ हा न $ गन दम, श्र जा 81 आम कया हुआ ह] जीन्य 6 $ ञ् *- नह $ की जी! ० 60 3%% श्ज पु की 1 का बन आड़ दर | कि. के न को ह-ब्ल. >> 3. 8 ह और काली-सी होती है। ये अकेले नहीं रहते। हमेशा अपने दोस्तों के साथ घूमते हैं। और मिलकर ही चीतल, सॉँभर, सुअर का शिकार करते हैं। ये भौंकते नहीं हैं। सीटी जैसी तीखी आवाज़ में चिल्लाते हैं। ये ढोल हैं। ये कुत्ते हैं पप गलियों या _ जब में बोरी-सतपुड़ा के जंगलों में रहती थी घरों में नहीं रहते। जंगल में रहते हैं। . तब मैंने इनको बहुत बार सुबह-सुबह देखा भेड़िया और लोमड़ी इनके रिश्तेदार था। थोड़े-से ढोल चीतल के पीछे भागते थे हैं। लाल रंग के ढोल की पूँछ मोटी और थोड़े से आगे छिपकर इनका इन्तज़ार विनता विश्वनाथन 2




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