अच्छी हिंदी | Acchi Hindi
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
6.15 MB
कुल पष्ठ :
183
श्रेणी :
हमें इस पुस्तक की श्रेणी ज्ञात नहीं है |आप कमेन्ट में श्रेणी सुझा सकते हैं |
यदि इस पुस्तक की जानकारी में कोई त्रुटि है या फिर आपको इस पुस्तक से सम्बंधित कोई भी सुझाव अथवा शिकायत है तो उसे यहाँ दर्ज कर सकते हैं
लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
No Information available about डॉ भोलानाथ तिवारी - Dr. Bholanath Tiwari
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)अच्छी भाषा के गुण
अच्छी हिन्दी पर विचार करने के पूर्व भूमिकास्वरूप यह प्रश्न उठाना अप्रासगिक
न होगा कि अच्छी भाषा के लिए कौन-कौन से गुण अपेक्षित है। यो तो इस सवध
मे काफी मतभेद की गुजाइश है, किंतु मेरे विचार में अच्छी भाषा की मुख्य अपेक्षाएँ
तीन हैं. शुद्धता, सुवोधता, प्रभाविता । यहाँ इन तीनों पर अलग-अलग विचार
किया जा रहा है ।
भाषा की शुद्धता
अच्छी भाषा के लिए सबसे आवश्यक है उसका शुद्ध होना । भाषा की शुद्धता
का अर्थ यह है कि उसमे, उस भाषा के मानक रूप का किसी भी स्तर पर उल्लघन
न हो । उसमे निम्नाकित वाते मुख्य रूप से आती हैं
(1) शुद्ध उच्चारण--इसका सवध वोलने की भापा से है । इसके अतर्गंत
(क)
(ख
कि
मुख्यत इन वातो का ध्यान रखना चाहिए
स्वर-व्यजन का ठीक उच्चारण--भापा स्वर और व्यजनों से वनी
होती है। उच्चारण के स्तर पर सबसे अधिक महत्व उनका ही होता
है । इसमे मूल स्वर, सयुक्त स्वर, मूल व्यजन, सयुक््त व्यजन इन चार
का उच्चारण आता है । हिर्दी से उदाहरण लेना चाहे तो “वस्तु का
“वस्तू' या भक्ति का 'भकती' मूल स्वर विपयक अशुद्धि है तो घास “
का 'घास' या “जौ' का *जौ' मौखिक स्वर को अनुनासिक कर देने की
अधुद्धि है । ऐसे ही 'शहर' का 'सहर', या “विद्यार्थी का “विद्यार्थी!
मूल व्यजन की अशुद्धि है और “रक्षा का “रच्छा' सयुक्त व्यजन की
अशुद्धि है ।
ध्रनुतान श्रौर चलाघात का ठीक प्रयोग--वोलने मे तरह-तरह के
वाक्या का लहजा या अनुतान अलग-अलग होता है “राम गया !”
“राम गया ?' “राम गया ' के वोलने के उतार-चटाव का ही अतर
है 1 इसे अनुतान कहते हैं। वोलने मे सुर के इस उत्तार-चटाव क्य
User Reviews
No Reviews | Add Yours...