अलंकार दर्पण | Alankar Darpan
श्रेणी : भाषा / Language, साहित्य / Literature
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
5.18 MB
कुल पष्ठ :
61
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)( ९४ )
दोचा।
हरी खिलत है सभी दिसि सुवतिन सौं लोर !
मानी वौर अवीर अति फैलि रह्मों चहुंओर॥८८॥
सोरठा।
जब अहेत में कोइ, करें रेत संभावना ।
विषय सिद्दि जहूँ होड़, ताहिं सिर विषया कहैं॥
दोछ्ा |
छल कछवीले रावरे अधिक रसौखें नेन ।
सानी मदसाते भय तातें राते पेन... ॥ ८१ ४
सोरठा |
दनकारन में हो, कारन कौ संभावना. ।
विषय सिदड नहि लोड, हत असिध विषया वहै॥
दीचा !
शीफ़ल तिरि कुचन की समता राखत बौर. ।
समतासी नाते मनी उन्हें विद्वारत कौर ॥८३॥
सोरठा ।
जहां अफल फल होड़, विषय सिध बरनन करें ।
फल उत्पे्ा सोड़, सिर विषया ताकों कहें ॥
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