आदर्श निबंध | Aadarsh Nibandh
श्रेणी : निबंध / Essay
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
28.92 MB
कुल पष्ठ :
671
श्रेणी :
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लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
No Information available about केशरी प्रसाद चौरसिया - Keshari Prasad Chaurasia
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)भूमिका थे
ससार की हर एक बात और सब बातों से सम्बद्ध है। श्रपने अपने
मानसिक संगठन के अनुसार किसी का मन किसी सम्बन्ध सूत्र पर दौड़ता है ।
कसी का किसी पर । ये सम्बन्ध-सूत्र एक दूसरे से नथे डये, पत्तों के भीतर
की नसों के समान चारों और एक जाल के रूप में फैले हैं । तत्वचिन्तक या
दाश निक केवल श्रपने व्यापक सिद्धान्तों के प्रतिपादन के लिये कुछ उपयोगी
सम्बन्ध सून्नों को पकड़कर किसी श्र सीधा चलता है और बीच के ब्यौरों मे
कहीं नहीं फंसता परन्तु निबन्घ लेखक श्रपने मन की प्रद्वत्ति के श्रनुसार स्वछन्द्
गति से इधर उधर फूटी हुई सू्-शाखाश्रों पर विचरता चलता है । यहीं उसकी
अर्थ सम्बन्धी व्यक्तिगत विशेषता है । अर्थ सम्बन्धी सूत्रों की टेढ़ी मेढ़ी रेखाएँ:
ही भिन्न-भिन्न लेखकों का दृष्टिपथ निर्दिष्ट करती हैं। एक ही बात को लेकर
किसी का मन किसी सम्बन्ध-सूत्र पर दौड़ता है किसी का किसी पर | इसी का
नाम है एक ही बात को भिन्न भिन्न दृष्टियो से देखना । व्यक्तिगत विशेषता का
मूल ्राघार यही है ।'
“निबन्ध लिखना अभ्यास से आता है । निबन्ध, लेखक के शान की कसौटी
है । उथला या पाडित्य प्रदशन के भाव से लिखा 'गया झ्रथवा उलमे हुए,
भावों से बोशिल निबन्ध व्यर्थ होता है। निबन्व शब्द का अर्थ है “बिंधा
हुआ्आ' । अतः थोड़े से अत्यन्त चुने हुए शब्दों में किसी विघय पर अपने विचार
प्रकट करने के प्रयत्न को निबन्ध कह सकते हैं । निचन्ध के विषयों की कोई
सीमा नहीं । आकाश-कुसम से लेकर नवीटी तक सभी निधन्ध के विंघय हो सकते
हैं ।” (श्री दरिद्दर नाथ टन्डन )
निबन्ध के विषय में डा० रामरतन भटनागर “निवन्ध-प्रबोध' की भूमिका
में अपने विचार प्रकट करते हुए कहते हैं कि “निवन्ध के विषय में महत्वपूर्ण
जात यह नहीं है कि वद्द किस विषय पर लिखा गया है १ किसने लिखा है
किस शैली में लिखा है ? उसका कण व्यक्तिगत रहता है । लेखक का
व्यक्तित्व सारे निषबन्ध में समाया होता है विषय कोई भी दो जिस वस्तु या श्िचार
को प्रकाश में लाया जाय उसे बिल्कुल स्पष्ट कर दिया जाय, उसम लेखक
घुल मिल ले, उसके सौन्दय का श्रनुमव करे, उसकी चित्तइत्ति उसमे रम जाय
और वह कलाएूण ढड्ड से श्रपने मन के विचार या हृदय की प्रतिक्रिया को
भाषा दे दे । निवन्ध को आकर्षक बनाने के लिए, यह श्रावश्यक है. कि उसमे
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