आज की समस्याएँ | Aaj Ki Samasyayen

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Aaj Ki Samasyayen by राहुल सांकृत्यायन - Rahul Sankrityayan

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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पाकिस्तान या जातियों की समस्या ? प्र (९) मध्य यूरोप में जातीयता की लहर---प्ुराने रोमन सान्ाउ्य का ध्वंस करतेवाले जर्मन थे । इसीलिए उन्होंने अपने को रोमन साथाउय का उत्तराविकारी समका । आस्ट्रिया का राजवंश दाब्सबर्ग इसी- सलिए सारे यूरोप में हज़ार बर्गो तक घड़े सम्मान की दृष्टि से देखा जाता था क्योंकि उसका पूर्व रोमन-ध्वंसक जमन सरदार था । छास्ट्रियम साधघाउम को पचिश्र रोमन साम्राउ्य भी इसी कारण से कड़ा समका जाता था | इाब्सबुर्ग की एक बढ़ी दिक़त थी । पक तरफ़ परस्पर लढ़सी तथा एक दूसरे से स्वतंत्र दो दर्जन से श्रधिक जर्मन रियासतों का बह चाम का सरदार था दूसरी श्र बेक स्लावक सगियार ( हंगेरियन ) रुथेनियन सरुमानियन सरमियन क्रोशियन जैसे गरॉर-ज्मेन जातिलाले एक विशाल राज्य का शासक था लिसमें जर्मन जातिघाले स्ट्रिया प्रो की जन संख्या बहुत कम थी । इस तरह पवित्र रोमन साम्राज्य मुख्यतः गैर-जर्मन जातियों से निकल कर बना था । यूरोप में जातीयता का प्रश्न जब घहुस ज़बदस्त दो उठा तो शस्ट्रिया के सामने सवाल था कि या तो वह सारी जर्मन सरदारियों जिनमें मुशिपरा और बवेरिया जैसे क्राफ़ी शक्तिशाली राजा भी थे--को एक कर एक जर्मन जालीय राज्य क़ायम करे और उस जाति की शोर से अपने गैरनजमंन जातियों का शासन शोपणा होगे दे । भपनी जमेन जाति के शक्तिशाली सामंतो को आपस मे. लड़ाये और छाप उनसे उल्तभता रहे । लेकिन घह इसे भहों चाहता था । १४वीं सदी के पूर्वांध में मेटरलिख जैसा वुटनीतिंश दाल्सबुर्ग को मिज्ञा था किससु उसकी सारी शक्ति श्रपने साम्नाउय के भीतर की गेरनजमैन जासियों के राष्ट्रीय शान्दोलन फी दघाने में ख़चे हुई । जो जात मेटरनिख से नहीं हुई चह बिस्माक॑ ने कर दिखाई । घ्रुशिया को उसने एक इट ताक़त बनाया और जरसंन जाति के भाम पर झस्टिया छोड़ सभी जमंन सरदारियों को ्रपने साथकर उसने १८७० हू० मैंप्रॉस को जेनदस्त शिकस्त दी और उसके बाद माताषिदयों से चली झाती नाम सेहादी जर्मन रिथिसिती संघ कों सजीव बना उसके द्वारा दाश्सडुर्य चंश को हंदा अशिया के राजी को




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