भारतीय दर्शन | Bhartiya Darshan
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
23.73 MB
कुल पष्ठ :
498
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand).,विदयसूची .... , शू७
भट्टारक, लघुसमन्त भद्र, अनन्तवीयं, नेमिचर्द सिद्धान्तचक्रवर्ती; श्रुतसागरंगणि/
घर्ममूषण, यशोविजयसूरि, १०७; तत्वों .का विचार, « १ ०७--जीवतत्वं,
१०८; जीव का स्वरूप, ३०८; जीव के-' गुण, १०८; प्रतिक्षण परिंणांग,
१०९; पर्याय, है १०४ अनेकान्तवाद,' ११०; जीव के झेद; .११०; “अजीव-
तत्व, १११; अजीव-तरव के भेद, “१११: अजीव-तत्व के गुण; १११८ '
_-घर्मास्तिकाय, १ है ९८ अधर्मास्तिकाय: ११२; आकाशास्तिकाय, ११२; पुदूग-
लास्तिकाय: है १२; दाब्द' आकार का गुण : नहीं; १९२; अस्तिकाय द्रव्यो
में साधम्यं और बेधम्य, ११२; फेल: ११४, 'आख्रवतत्व, _ ११४; आख़व'
का स्वरूप, ११५; आख्व के भेद, १११० बन्चतत्त्व, ११५; बर्च का स्वरूप,
११५; सबरतत्त्व,. ११६; सवर का स्वरूप, ११६: सवर के भेद, ११९३
समितियाँ, ११६: गुप्तियाँ, ११६: नल! - ११७; चर्म, 1१०: अनुप्रेक्षाएँ.
११७; परीषद्घ, ११७; परीषह के भेंद ' १८: चारित्र के; भेद, . ११८:
निर्जरातत्व, ११८; निर्जेसा का अर्थ, ११८; निर्जरा की प्राप्ति: ११८
निर्जेरा के भेद, ११९; तमस्या के भेद, ११९; मोकतत्व, ,११०7 मोक्ष के '
मेद, ११९; प्रमाणविचार/ १२०: दर्शन-ज्ञान के मेंद, १२०: साकार ज्ञान
के जेद, १२०; प्रमाण, १२०५ प्रमाण का लक्षण, १२१; प्रमाण के भेद,
१२१; प्रत्यक्षप्रमाण, १२१; प्रत्यक्ष के भेद, १२१: मतिज्ञान, १२२: ः
अवग्रह, ईहा, जवाय, घारणा, १९२ श्रुतज्ञान, १२२; मर्ति और श्रुति में
भेद, १२२; पारमार्थिक प्रत्यक्ष के म्ेद, १२३; केवंलज्ञान/ विकलज्ञान, अबधि-
ज्ञान, मन पर्यायज्ञान, १२३४ परोक्षजअमाण, १२४; अनुमात-अ्रमाग रे)
पडचावयव परार्थानुमान, १२४: प्रतिज्ञा, हेतु, दृष्ठान्त, उपनय, रस,
निगमन, १२५; दशावयव परार्थानुमान, १९%: प्रतिज्ञा, प्रतिज्ञा-विं भक्त;
हेतु, हेतु-विभक्ति, विपक्ष, विपक्ष-प्रतिबेघ, दुष्टा्न्त, आद्यका, १२५५ आशंका-
प्रतिबेघ, १२६: निंगमन; हेत्वाभास, १२९ पक्षाभास,, १२६. हेता-
भास, असिद्ध, विरुद्ध अनैकान्तिक, १२६; दृष्टान्ताभार्सि; १२७; दूषणाभासे
१२७५ दाब्द-प्रमाण, १२७: तय, १२७--ययार्थज्ञान और नय, १२७; तय
के भेद, १२८; कर्मवाद, १२८५ जीव और करें का सम्पक, १२८; स्याद्वाद
या अनेकान्तवाद, १२९, सत् का स्वरूप; १२९; परिणामिनित्यत्ववाद; १२९;
सप्तभगीनय का उदाहरण, १३०५ आलोचन, १२३९-जात्मा अवयवी है;
१३२; अमेद में भेद, १३२; आचार के अव्यावहारिक नियम, १२३९:
आचार-मापक तत्व; १३३ ।
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